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(२१३) " तत्थ से पुवागमणेणं पुब्वाउत्ते भिलिंगसूवे पच्छाउत्ते चाउलोदणे, कप्पइ से मिलिंगसूवे पडिगाहित्तए, नो से कपइ चाउलोदणे पडिगाहित्तए ॥ ३४ ॥
गृहस्थी के घरमें खड़े रहे हों और वहां पर पहिले चावल तयार होते हों पीछे दाल बनाई हो तो साधु को पहिले चावल चढ़े हों वही काम लगे परन्तु साधु खड़ा रहे उस बाद दाल चढ़ाई होतो वह दाल न कल्पे किन्तु पहिले दाल चढाई होवो दाल कल्पे चावल पीछे चढ़ाये होंतो चावल काम न लगे. ___ और यदि पहले दोनों चढाए होतो दोनों काम लगे दोनों पिछे चहे होतो दोनो काम नलगे.
तस्थ से पुब्बागमणेणं दोवि पुव्वांउत्ताई कप्पंति से दोवि पडिगाहित्तए । तत्थ से पुवागमणेणं दोवि पच्छाउत्ताई, एवं नो से कपंति दोवि पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुवागमणेणं पुबाउत्ते, से कप्पइ पडिगाहित्सए, जे से तत्थ पुवागमणेणं पच्छाउत्ते, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए ॥ ३५ ॥ __ कहना तात्पर्य यह है कि साधु खड़े रहे वाद जो चीज तैयार करे वह न कल्पे पहले चूले चढी हो वही चीज साधु लेसक्ते हैं.
वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स निग्गथीए वा गाहावाकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिन्मिय २ बुटिकाए निवइज्जा, कप्पड़ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगगिहसि वा अहे रुक्खमूलसि वा उचागच्छित्तए, नो से कप्पड पुत्वगहिएणं भत्तपाणेणं लं उवायपावित्तए, कप्पड से पुवामेव वियडगं भुच्चा पडिग्गहगं संलिहिय २संपमज्जियर एगाययं ( एगो) भंडगंकटु