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________________ ( २०८ ) किन्तु एकांतरीय उपवास करने वालों को पारणा के दिन एक वक्त खाने से न चले तो दूसरी वक्त भी गोचरी के लिये जाना कल्पे ( जो क्षुधा वेदनी शांत न होवे तो दूसरी वक्त जावे ). वासावासं पज्जोसवियस्स भक्तियस्स भिक्खुस्स कपति दो गोरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्ख० परिसि० || २२ ॥ वासावासं पज्जोसवियस्म श्रट्टमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तो गोचरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्aमि० पविस० ॥ २३ ॥ वासावासं पज्जोसवियस्स विगिट्ठभत्तिग्रस्त भिक्खुस्स कप्पंति सव्वेवि गोचरकाला गाहा० भ० पा० निक्खमि० पविसि० ॥ २४ ॥ बेले का तप करे और तीसरे दिन खावे उनको दो वक्त गोचरी लाकर खाना कल्पे, तीन उपवास करे चोथे दिन खाये उसकी तीन वक्त गोचरी लाकर खाना कल्पे चार उपवास से लेकर अधिक तप करने वाले को चांह उस वक्त ग्रहस्थी के घरको दिन में जाकर लाकर दिन में ही खाना कल्प ( चोमासा में रहने वालों के लिंग यह नियम अधिक प्रचलित हैं ज्यादह खाकर अजीर्ण का रोग न बढावे न पढ़ने में प्रमाद होवे किन्तु पढ़ने वालों के लिये गुरु आङ्गा पर हैं एक वक्त खावे चाहे दो वक्त खावे ). वासावासं पज्जोसवियस्स निचभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति सव्वाई पाएगाई पडिगाहित्तए । वासावासं पज्जोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तयो पाएगाई पडिग्राहित्तए, जहा - प्रोसेइमं, संसेइमं, चाउलोदगं । वासावासं पज्जोसवियस्स छ भत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तत्रो U
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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