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(१४) मबमें सर्वम मुनि प्राणुत देवलोक में देव हुए सिंह मरकर चौथी नरक में गया.
दशमा यव में मम्मृति का जीव देवलोक मे पात्रनाय का गीच हुश्रा और चौदह स्वम माना न देखे क्रमठ का जीव ब्राह्मण का पुत्र हुआ.
पास एणं अरहा पुरिसादापीए तिन्नाणोवगए प्रावि हुस्था, तंजहा-वहस्सामित्ति जाणह, चयमाणे न जाणइ, चुएमिनि जाणह, तेणं व अभिलावणं सुविणदसणविहा. रणणं सम्बं-जाव-निग्रगं गिहं अणुपविट्ठा, जाव मुहसुहेणं तं गम्भ परिवहह ।। १५.१ ॥
तणं कालेणं तणं समएणं पासे अरहा पुरिसादापाए जे से हेमंताणं दुच्च मास तच्चे पक्व पोसबहुले, तस्स एं पोसबहुलस्स दसमीपस्व एवं नवग्रहं मासाणं बहुपडिपुराणाणं अट्ठमाणं राइंदिग्राएं विक्वंताएं पुल्चरत्नावरत्तकालसमयसि विसाहाहिं नक्सत्तएं जोगमुवागएणं श्रारोग्गा प्रारोग्गं दारयं. पयाया ॥ १५ ॥
जं रयणि च णं पामे जाए, मा रयणी बहुहिं देवेहिं देवीहि य जाव उणिजलगभूया कहकहगभूया यावि हुत्या ।। १५३ ॥
सेसं तहेव, नवरं जम्मणं पासामिलावणं भाषियव्यं. जाव तं होड पं कुमार पासे नामपं ॥ १५ ॥
महावीर स्वामी की नन्ह पार्श्वनाथ का च्यवन ममय नीन बान का अधिकार बमों का और नान वान का अधिकार नानना, और माता ने अच्छी तरह से गर्म को वहन किया.
पार्धनाय ने पाप बढी १० की मध्य गत्रि में जन्म लिया उस समय चन्द्र नक्षत्र विशाम्बा था और काया निगंग और सुन्दर थी और जन्म महोत्मत्र .