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________________ (१४५) महावीर प्रभु ३० वर्ष ग्रहस्थावास में रहे, १२ वर्ष से कुछ अधिक छमस्थ दीक्षा पाली, ३० वर्ष में कुछ कम केवल ज्ञानी पर्याय में शरीर धारी रहे ४२ वर्ष कुल दीक्षा पाली ७२ वर्प का पूर्ण आयु पाला तब वेदनी नाम आयुगोत्र ऐसे चार अघाति को क्षय होगये और इस अवमर्पिणी का दुःखम मुखम नाम का तीसरा धारा बहुत व्यतीत होजान वाद ३ वर्ष ८ मास बाकी रहे उस समय पावापुरी में हस्तिपाल गजा की मुनसियों की पुगणी बैठक में एकिले बैलेका पानी रहित नपमें स्वातिनक्षत्र में चंद्रयोग आनेपर प्रत्युप ( चार घडी रात्री वाकी रही थी उस ) समय में पलोठी मारकर बेटे थे और उपदेश ५५ अध्ययन कल्याण (पुण्य ) फल के, ५५ अध्ययन पाप फल के ३६ अध्ययन अप्रष्ट व्याकरण के कहकर प्रधान अध्ययन मरुदेवा का कहते कहते संसार से विराम पाये, उर्वलोक में सिद्ध हुए जन्म जगमरण को छेद सिद्ध बुद्ध मुक्त अंन कुन हुए उनके सत्र दुःख क्षय होगये. समणस्स भगवत्रो महावीरस्स नाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स नव वाससयाई विइक्ताई, दसमस्सय वाससयस्स अयं प्र. सीइमे संवच्छरे काले गच्छद, वायणंतरे पुण अयं तेणउए संवच्छरे काले गच्छदइइ दीसह ।।१४७॥ (क० कि०, क. सु० १४८) (कल्पसूत्र जिस समय लिग्वा ) उस समय भगवान महावीर के निर्वाण को ९८० वर्ष ये दूसरे पुस्तकों में ९६३ वर्ष का लेख भी है देवादि चमा श्रमण ने यह मत्र लिखाया है उससे ऐसा भी अनुमान करते हैं कि ९८० वर्ग वाद लि खाया और ६९३ वर्ष में राजसभा में बांचना शक हुआ तत्व कंवली गम्य समजना चाहिये. ॥ यहां पर छठा व्याख्यान समाप्त होता है ।। तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादापीए पंचविसाहे हुत्था, तंजहाविसाहाहिं चुए चइत्ता गम्भं वकते,
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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