________________
(८९) साए सब्बतुडिअसद्दनिनाएणं महया इड्ढीए महया जुइए महया बलेणं महया वाहणेणं महया समुदएणं महया वरतुडिअजमगसमगपवाइएणं संखपणवभेरिझल्लरिखरमुहिहुडुक्कमुरजमुइंगदुंदुहिनिग्घोसनाइयरवेणं उस्सुकं उक्करं उकिट्ठ अदिज्जं अमिज्जं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणि
आवरनाडइज्जकलियं अणेगतालायराणुचरिअं अणु अमुइंग, (ग्रं. ५०० ) अमिलायमल्लदामं पमुइअक्कीलियसपुरजणजाणवयंदसदिवसं ठिईवडियं करेइ ।। तएणं से सिद्धत्थे राया दसाहियाए ठिईवडियाए वहमाणीए सइए य साहस्सिए य सयसाहस्सिए य जाए य दाए य भाए अदलमाणे अ दवावेमाणे अ, सइए अ साहस्सिए अ सयसाहस्सिए य लभे पडिच्छमाणे य पडिच्छावमाणे य एवं विहरई ॥ १०१ ॥
उस के बाद राजा अट्टनशाला में गया, जाकर मल्ल कुस्ती वगैरह कर स्नान कर अच्छे वस्त्र पहर कर अपने परिवार साथ, पुष्प वस्त्र गंध, माला अलंकार से शोभित होकर, सर वाजिंत्रों की साथ, बडी ऋर्दि से बडे धुनि से बडी सेना से, बहुत वाहन से, बडे समुदय से, खट् स्वर युक्त वाजिंत्र वाजते, संख प्रणव, भेरी झालर (घडीयाल) खर मुखी. हुढुक. ढोल, मृदग दुंदुभी के अवाज से शोभायमान राजा ने फिर कर जकात वेद की. कर बंद कीया, और लोगों को सूचना दी कि खाने पीने वाभोजन के लिये जो चीझ चाहे सो प्रसन्नचित्त होकर लोराजा उसका दाम देगा और अमूल्य वस्तुयें भी लो राजे के सीपाई किसी को भीन पीटे ऐसा बंदोवस्त किया दंड शिक्षा कडी केद शिक्षा बंद की और गाणकाओं से नृत्य कराएं वो देखने को सर्वत्र मनुष्य समूह इकट्टे हुए है और मृदंग बज रहे है खाली हुई विकस्वर मालाएं देख कर नगरवासी जन प्रसन्न होकर इधर उधर फिर कर आनंद क्रीडा करते है ऐसा दशदिवस का महोत्सव कुल मर्यादा से यथाविधि किया।
दश दिवसों में राजा के रिस्तेदारों ने राजा को यथोचित भेट, नजर की