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प्रमेयद्योतिका का प्र.३ उ.३ रु.५३ वनपण्डादिकवर्णन
८७५ निर्गच्छति द्रव्यस्याल्पत्वात् ततो बहुवचनमिति । 'पत्तपुडाण वा' पत्रपुटाना. मिति वा, पत्रं विमोत्थ परिमलकम् तस्य पुटानाम् । 'चोयडाण वा' चोयगपुटानां वा चोयगं गन्धद्रव्यम् 'तगरपुडाण वा' तगरपुटानां वा, तगर:-सुगन्ध विशेषः। 'एलापुडाण वा एलापुटानां वा, एला इलायचीति कोकमसिद्धा 'चंदणपुडाण बा' चन्दनपुटानां वा चन्दनं चन्दनाख्य सुगन्धद्रव्यविशेषः 'कुंकुमपुडाण वा' कुङ्कुमपुटानां वा कुङ्कुमं 'केसर' इति प्रसिद्धम् 'उसीरपुडाण चा' उशीरपुटानां वा, उशीर 'खस' इति प्रसिद्धं सुगन्धितणविशेष: 'चंपगपुडाण वा' चम्पकपुटानां वा, 'मरुबगपुडाण वा मरुबकपुटानां वा मरुबकं 'मरुआ' इति प्रसिद्धम् । 'दमणगपुडाण वा' दमनकपुटानां वा, दमनकं सुगन्धितपत्रयुक्ता वनस्पतिविशेषः 'जाइपुडाण वा' जातीपुटानां वा, जाती-चमेली' इति नाम्ना पुष्पविशेषः 'जू हियापुडाण वा' यथिकापुटानां वा, यूयिका 'जूही' मसिद्धा द्रव्य के पुटों की होती है पत्तडाण वा' जैसी गन्ध पत्रपुटों के विमद-ले उत्पश परिमल के पुटों की होती है 'चोयग पुडाण वा-जैसी चोयग-गन्ध द्रव्य पुटों की होती है 'नगर पुडाण वा' जैसी गन्ध तगर पुटों की होती है । 'एलापुडाण का जैली गंध इलायची के पुटों की होती है 'चंदण पुडाण या' जैसी गन्ध चन्दन के पुटों की होती है 'कुंकुमपुडाण वा जैली भन्ध कुंकुम्न के पुटों की होती है 'उसीर पुटाण वा' जैसी पन्ध खल के पुटों की होती है 'चंपक पुडाण वा' जैसो गन्ध चम्के पुटों की होती है 'मरुयगपुडाण पा' जैसी गन्ध मरू वा के पुटों की होती है 'दमनगपुडाण का' जैसी गन्ध दमनक के पुटो की होती है 'जाति पुडाण वा' जैसी गन्ध चमेली के पुष्पपुटों की होती है 'जूहियापुडाण वा' जैसी गन्ध जुही के पुष्पपुटों की होती S५न्न थयेट परिसना पटोनी डाय छे. 'चोयगपुड़ाणवा' वी 14 यायम नामना गद्रव्यनी हाय छ, 'तगरपुडाणवा' त भुटानी रवी ॥ यथे, 'एलापुडाणवा' मायाना पुटोनी वी भणीय हाय छे. 'चदणपुडाणवा' यहनना भुटानी नेवी गाय छ, 'कुंकुमपुडाणवा' मना पुटानी वी मध हाय छे. 'उसीर पुडाणवा' असना टोनी २वी गध होय छे. 'चपकपुड़ाणवा
पाना पुटानी रवी हाय छे. 'मरुयपुडाणवा' भ२वाना भुटाना २वी गाय छे. 'दमनकपडाणवा' २वी गहमनना धुटानी डाय छे. 'जाति पुङाणवा' यमेसीन। ०५ पुटानी २वी गाय छे 'जूहियापुड़ाणवा' धना पानी पी डाय छ, 'मल्लिय पुडाणवा' भEast-भागसना ०५
०५ भुटानी २वी गाय छ, 'णवमल्लिय पुडाणवा' न माना