SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 804
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीवामिगमसूत्रे न्तरिकायाम् ईशाभिधानायां पर्पदि 'देवाणं केवढ्यं कालं टिई पण्णत्ता' देवानां कियन्तं कालं स्थिति :- आयुष्यकाळः प्रज्ञप्ता- कथिता, 'मज्झिमियाए परिसाए' माध्यमिकायां त्रुटिताभिधानायां पर्पदि 'देवाणं केवइयं कालं ठिई पत्ता ' देवानां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता, तथा - 'बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पत्ता' वाद्यायां दृहत्याभिधानायां पदि देवानां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता एवम् - 'जान बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' यावद वाह्यां पदि देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता । अत्र यावत्पदसंग्राहूयः पाठो यथा - आभ्यन्तरिकायां पर्षद देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञा, माध्यमिकायां पर्पादि देवीनां कियन्तं काल स्थितिः मज्ञप्ता, वाहयायां पदि देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्छेति मश्नः, भगवानाह - 'गोयमा ।' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम! 'कालस्स णं पिसायकुमारिदस्स पिसायकुमाररण्णो' या परिसाए देवाणं केवहयं कालं ठिई पन्नत्ता' हे भदन्त पिशाचकुमारेन्द्र पिशाच कुमारराज कालकी आभ्यन्तर परिषदा के देयों की स्थिति कितने कालकी कही गई है । 'मज्ज्ञमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता' मध्यमिका परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है। 'बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नता' बायापरिषदा के देवों की स्थिति कितने कालकी कही गई है ? इसी प्रकार से 'जाव पहिरियार परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' यावत् बाहूयपरिषदा की देवियों की कितनेकालकी स्थिति कही गई है ? यहां यावश्पद से आभ्यन्तर और मध्यमपरिषदा का प्रश्न अन्तर्गत है । अर्थात् आभ्यन्तरपरिषदा मध्यमिकापरिषदा और बाहूया परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है। इसके ق परिखाए देवाणं केवइयं काल ठिई पण्णत्ता' है लगवन पिशायकुमारेन्द्र पिशायકુમારરાજ કાલની આભ્યન્તર પરિષદાના દેવાની સ્થિતિ કેટલા કાળની કડલ हे ? मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइयां काल' ठिई पण्णत्ता' मध्यमि परिषहा ना हेवानी स्थिति सा अजनी उस छे ? 'बाहिरियाए परिसाए देवानं केवइय' क'ल' ठिई पण्णत्ता' माह्य परिषहाना हेवानी स्थिति डेटा अपनी वामां भावी हे ? ०४ रीते 'जाव बाहरियाए परिसाए देवीगं केवइयां काल ठिई पण्णत्ता' यावत् माह्य परिषहानी हेवियानी स्थिति ठेवा अजनी डेस છે ? અહિયાં યાવપદ્મથી આભ્યન્તર અને મધ્યમ પરિષદાસ બધી પ્રશ્ન સમજી લેવા અર્થાત્ આભ્યન્તર પરિષદા મધ્યમિકા પરિષદા અને માહ્યા પરિષદાની ઢવિચાની સ્થિતિ કેટલા કાળની કહી છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં
SR No.010389
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages929
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size61 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy