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प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३ सु. ४७ औत्तरदिग्वर्त्य सुर कुमार निरूपण
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देवसहसा पण्णत्ता' माध्यमिका द्वितीयस्यां चण्डाभिधानायां पदि कतिकियत्संख्यकानि देवपहस्त्राणि ज्ञानि 'जात्र बाहिरियार परिसाए कह देसिया पण्णत्ता' यावद् पाद्यायां पर्षदि कति देवीशतानि प्रज्ञप्तानि अत्र यात्रत्पदेन 'वाहिरि या परिमाप कई देवसहस्ता, अरियाए परिसाए कह देविसया, मज्झिमयाए परिसाए कई देविया' इति सग्राह्यम् । बाह्या तृतीयस्यां जाताभिधानायां
दिति देवस्राणि मज्ञप्तानि तथा-अभ्यन्दरिकायां समितायां पर्प दि कति देशवानि प्रज्ञप्तानि, माध्यमिकायां चण्डायां वर्षदि कति देवीशतानि मष्ठानि तथा बाह्यायां तृतीयस्यां जादाभिधानार्थ पर्पादि कति देवी शतानि प्रज्ञप्तानीति प्रश्नः भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'लिस ' वइरोयदिस्स वइरोयणरन्नो' बलेः खलु वैरोचनेन्द्रस्य चैरोचनराजस्य 'अभितरियाए परिसाए वीसं देव सहस्सा पन्नता' आभ्यन्तरकार्या कितने हजार देव कहे गये है ? 'जाब बाहिरियाए परिसाए कह देविसया पनसा' बाह्यपरिषदा के देवों की संख्या के प्रश्न को लेकर वाह्य परिषदा के देवियों के प्रश्न तक का पाठ यहां लेना चाहिये जैसे'बाहिरियाए परिसाए कइदेव सहस्सा पन्नत्ता' इत्यादि । बाह्य परिपदा में कितने हजार देव कहे गये हैं? तथा वैरोचनेन्द्र वैरोचनराजबलि की आभ्यन्तर परिषदा में कितनी सौ देवियां कही गई हैं ? मध्यमा परिपदा में कितनी सौ देवियां कही गई है तथा बाह्य परिषदा में कितनी सौ देवियां कही गई है। इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं- 'गोयमा' पलिस णं वइरोयदिस्स वहशेषणरनो अभितरियाए परिसाए दीसं देवसहता पण्णत्ता' हे गौतम' वैरोचनेन्द्र वैगेन राजवलि की अभ्य
परिसाए कइ देव सहस्वा पण्णत्ता' हे भगवन् वैशयनेन्द्र वैशयनरान जसि ईन्द्रनी मान्यन्तर परिषहाभांसा उन्नर हेवे देवास मावेस हे ? 'जाव बाहिरियाए परिसाए कइ देविसया पण्णत्ता' मा परिषहान हेवानी सभ्याना પ્રશ્નથી લઈને ખાદ્ય પરિષદાની વૈચિાની સખ્યાના પ્રશ્ન સુધના પાઠ અહ્રિયાં श्रह १२ मे. भठे 'बाहिरियाए परिसाए कइ देव सहस्वा पण्णत्ता' ઇત્યાદિ ખાદ્ય પરિષદામાં કેટલા હજાર દેવાઢવામા આવેલ છે ? તથા વૈરેચનેન્દ્ર વૈરાચનરાજ મલીન્દ્રની અ ચતર પરિષદામાં કેટલા સે દૈવિયે ડેલ છે ? મધ્યમ પરિષદામાં કેટલા સે દૈવિ કહેવામાં આવેલ છે? તથા બાહ્ય પરિષદામાં કેટલા સે। દેવિયેા કહેલ છે? આ પ્રશ્નના ઉત્ત૬માં પ્રભુશ્રી 'गोयमा ! वलस्वणं वइरोयणि दस्स वइरोयणरण्णा अभि तरियाए परिसाए वीसं देव सहस्सा पण्णत्ता' हे गौतम! वैशयनेन्द्र वैरेयनराष्ट्र