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प्रमेयद्योतिका का प्र.३ २.३ २.४६ देवस्वरूपवर्णन
७३१ देवीशतानि प्रज्ञशानि-कथितानि, तथा-'अज्झिभियाए परिसाए' माध्यमिकायां द्वितीयस्यां चण्डाभिधानायां पनि कर देविसया पन्नत्ता 'कति-कियत्संख्यकानि देवीशतानि प्राप्तानि-कथितानि तथा-'बाहिरियाएपरिसाए कइ देविसया पन्नता' वाह्यायां तृतीयस्यां जाताभिधानायां पर्षदि कति-कियत्संख्यकानि देवीशतानि प्रज्ञप्तानीति चमरस्य देवीसंख्याविषयक प्रश्न:, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'चपरस्स णं असुरदस्त असुररको चमरस्य खलु असुरेन्द्रस्यामुरराजस्य 'अमितरियाए परिसाद' अभ्यन्तरिकायां प्रथमायाँ समिताभिधानायां पर्पदि 'अधुट्टा देविसया पन्नचा' अर्द्धचनुानि देवीशतानि-अर्धाधिकाति त्रीणि देवीशतानि प्रज्ञप्तानि, तथा-'मज्झिमियाए परिसाए' माध्यमिकायां चण्डाभिधानायां पर्षदि तिनि देविसया पत्ता' निसंख्यानि देवीशतानि प्रज्ञप्तानि, तथा. 'बाहिरियाए अड्डाइज्जा देविसया पन्नत्ता' बाह्यायां जाताविधालायां तृतीयस्यां कति देविसघा पण्णता हे भदन्त अनुरेन्द्र असुरराज की आभ्यन्तर परिषदा में कितनी लौ देवियों कही गई है ? 'मज्झिमियाए परिसाए कइदेविसया पण्णता' अषमा परिषद में कितनी सी देवियां कही गई है ? 'वाहिरिसाए परिसाए कति देबिसया पणत्ता तथा बाह्य परिषदा में शिवानी सो ऐविधा कहीं बाई ? जन्तर में प्रभुश्री कहते है 'गोयना अवर स्लणं अटुरिंदरस असुररनो अभितरियाए परिसाए अधुढा देविलया पासा' हे गौतम ! असुरेन्द्र असुर - राज चमरेन्द्र की आभ्यन्तर परिषदा काढे तीबतौ ॥ देधियां कही गइ है। 'अज्झिमिधाए परिमाए तिनि देविल्या पन्नत्ता' मध्यमिका सभा में तीन ३ सौ देवियों कही गई है 'बाहिथियाए अडाइज्जा देविलया पन्नत्ता' और बाह्य स्तमा दाह २॥ देबियां कही गई है। चारस्वर्ण मते ! अरिदस्त अटुरो' हे पदन्त । अस्तुरेन्द्र असुरराज देवियो वामां आवेश १ 'मजिशमियाए परिसाए कति देविसया पण्णत्ता बाहिरियाए परिसाए कइ देविसया पण्णत्ता' मध्य पश्षिामा ३ से ४ દવાઓ હેવાનું કહેલ છે તથા બાહી પરિષદામાં કેટલા સે દેવિયો હોવાનું
वामां मावत छ ? या प्रश्न त्तरमा सुश्री छे 'गोयमा ! चमरस्त्र ण असुरिदस्स असुररन्नों अभितरियाए परिसाए अधुदा देविसया पण्णत्ता' 8 ગતિમ! અસુરેન્દ્ર અસુરરાજ ચમરેન્દ્રની આભાર પરિષદામાં ૩૫૦ सा नसोवियो हाना छ, 'मझिमियाए परिमाए तिन्ति देविसया पन्नत्ता' मध्यभि सलामा ३०० एसे हरियो वामां मावस छे. 'वा. हिरियाए परिसाए अढाइजजा देविसया पन्नत्ता' मन मा परिषामा २५० मासा वायो ४ही छ. 'चमररस जम! असरिदस्त असररण्णा' है