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प्रमैयद्योतिका टीका .१ उ.३ १.४) ए० इन्द्रमहोत्सवादि वि. प्रश्नोत्तरा: ६५ नोत्सुकजनमेलकः 'जल्लपेच्छाइ दा' जल्लनेक्षेति वा, तन जल्ला वरना खेलका स्तेषां प्रेक्षा-प्रेक्षणकम् 'मल्लपेच्छाइ बा' मल्लपेक्षेति बा, तत्र मल्ला:-बाहुयुद्धकारिणः, 'मुद्वियपेच्छाइ वा मौष्टिकप्रेक्षेति वा, ते एव मल्ला:, मौष्टिकाः ये मुष्टिभिः प्रहरन्ति । 'बिडंबगपेच्छाइ का विडम्व क्षेखि वा वन विडम्वका:विषकाः मुखविकारादिभिर्जनहास्योत्पादकारलेषा प्रेक्षणमिति । 'कहा पेच्छाइ चा' कथकप्रेक्षेति वा तत्र कथकाः सरलकथा कथनेन | तृणां रसोत्पादकास्तेषां मेक्षणकम्, 'पवगपेच्छाइ वा लवगमेक्षेति बा, तत्र प्लवकास्ते ये अम्पादिभिर्गवा दिकमुत्प्लवन्त नद्यादिकं वा तमिल से उत्तीदि लखन कारिण इत्यर्थः 'अक्खायग पेच्छाइ वा आख्यायकक्षेति वा-आख्यात शुभाशुभमिति-आख्यन्यकास्तेषां का मेला भरता हैं क्या ? 'जल पेच्छाइ वा वस्त्रा-डोरी पर खेलने बालों के खेल को देखने वालों का मेला अरता है क्या ? 'मल्लपेच्छाह वा' भुज युद्ध करने वाले अल्लो के भुज युद्ध को देखने के लिये मनुज्यों का मेला भरताश्या ? 'बुष्ट्रिय ऐच्छाह वो' बुष्टि युद्ध करने वालों के मुष्टि युद्ध को देखने चाक मनुष्यों का मेला भरता है क्या ? 'विडंग पेच्छाइ वा मुख विशार आदि विविध विक्रियाओं द्वारा मनुः व्यों को हराकर चित्त को विनादित करले थाले चिदूषक जनों की चेष्टाओं को देखने के इच्छुक जनो का मेला भरला है क्या? 'महग पेच्छाइ वा सरस कथा के सहने श्रोताओं को रसोत्पादन करने वाले कथक जनों की कथाओं को सुनने के लिये भक्त मानवों का मेला भरता है क्या ? 'पचा पेच्छाह वा प्लवकजनों की उछल कूद को देखने वालों का मेला भरा क्या ? 'अक्खायण पेच्छाइ बा' शुभा शुभ का आख्यान करने वालों की जो सभा भरती है, उसका नृत्याने ना भाटे पाणा थये। मनुष्याने भो मराय छ ? 'जलपेच्छा દવા ગરવા દેરી પર ખેલ કરવા વાળાઓના ખેલને જોવાવાળાઓને મેળે सराय छ ? 'मल्लपेच्छाइवा' पाहु युद्ध ४२वामलाना माई युद्धन नेवा भाटे मनुष्याना भेजे। सराय छ १ 'मुद्रियपेच्छाइवा' मुष्टियुद्ध ४२१! पाणासाना भुष्टियुद्धने नवादा मनुष्याना भेणे सराय १ 'विड़बगपेच्छा ફૂવા” મુખવિકાર વિગેરે અનેક પ્રકારની વિકિયાઓ દ્વારા મનુષ્યને હસાવીને ચિત્તને પ્રસન્ન કરવાવાળા વિદૂષક જનોની ચેષ્ટાઓને જેવા ઈછનારા मनुष्याना भेजे। सराय छ? 'कहापेच्छाइ वा' सुह२ ४थामा वामां શ્રોતાઓને રસ ઉપજાવનારા કથક જનની કથાઓને સાંભળવા માટે मत ३५. मनुष्याना गणे। माय ? 'पवग पेच्छाइवा' 6 ३२१ मनुष्यानी नेनारामान भणे मराय छे ? 'अक्खायग