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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ रु.४० ए० इन्द्रमहोत्सवादि वि. प्रश्नोत्तराः १४६ न्दमह इति बा-मुकुन्दः कृष्णः तमधिकृत्य क्रियमाण उत्सवः, 'णागमहाइपा' नागो नागकुमारो भवनपतिविशेषः तस्य मह उत्सवः । 'जक्ख महाइ वा' यक्षमा इति 'भूतमहाइ वा भूतमह इति वा, तत्र यक्षभूतौ व्यन्तर विशेषौ तयोमह उत्सवा 'कूवमहाइ चा' कूपमह इति वा, नवनिर्मापित कूपस्योत्सवः, 'तलायणईमछाइ वा' तडागनदीमह इति वा, वडागः नदी चेति द्वयं प्रसिद्धं 'दहमहाइ वा इदमह इति वा, तत्रऽगाधजलो हुदः तस्योत्सवः, 'पन्चयमहाइ वा' पर्वतमह इति वा, 'रुक्ख'मुगुंदमहाइ वा' मुकुन्द नाल कृष्ण का है इस कृष्ण को लक्षित कर किये गये उत्सव का नाम मुकुन्दोत्सव है 'णागमहाइ वा नाग नाम नाग कुमार का है यह भश्नपति देव का एक भेद है इस नाग कुमार को लक्षित कर किये गये उत्सव का नाम नागोत्सव है 'जक्ख महाद वा' यक्ष यह व्धन्तर देवों का एक भेद है इस पक्ष को लक्ष्य करके किये गये उत्सव का नाम यक्षोत्सव है 'भूत महाइ वा भूत भी व्यन्तर देवों का ही एक भेद है हल भूत को लक्ष्य कर किये गये उत्सव का नाम भूत मह है 'कूय महाइ वा' नये बनाये गये कूप को लक्षित कर किये गये उत्प्लव का नाम कूप महोत्सव है 'तलायणई महाइ वा' तालाप एवं नदी को लक्षित कर किये गये उत्सव का नाम तडागमह
और नदी मह है 'दह महाइ वा पन्धय महाइ वा' अगाध जल वाले जलाशय को हूद कहते हैं ऐसे हूद विशेष को एवं पर्वत को लक्षित कर ४२वामा मावस सपनु नाम शिवोम छे. 'वेसमण महाइवा' मनाम કુબેરનું છે તે ઉત્તર દિશાને એક લેકપાલ દેવ છે આ કુબેરને ઉદ્દેશીને થવા पा सकतु नाम वैश्रवणात्मक छे. 'मुगुद महाइवा' भुनु नाम यनु छ. सेयन देशीन थना। सनु नाम भुहोत्सव छे. 'णागमहाइवा' નાગનામ નાગકુમારનું છે, આ ભવનપતિ દેવના એક ભેદ રૂપ છે. આ નાગકુમારે छ २ अशी स्वामी मावस उत्सव नाम नागोत्सव छ. 'जक्खमहाइवा' યક્ષ એ વ્યન્તર દેવને એક ભેદ છે. આ યક્ષને ઉદ્દેશીને કરવામાં આવેલ
सपनु नाम यात्स4 छ, 'भूतमहाइवा' भूत ५] व्यन्त२ हेवना४ मे છે. આ ભૂતને ઉદ્દેશીને કરવામાં અાવનારા ઉત્સવનું નામ “ભૂતમહોત્સવ” છે. 'कुव महाइवा' ना मनापामा गाय पाने शीन ४२पामा मा ५ भात्सप छे. 'तलावणई महाइवा' तणाव भने नतीने शीने ४२पामा मावेत उत्सवनु नाम '
त नही भडास ४ाय छे. 'दहमहाइवा पव्वय महाश्या' અગાધ પાણીવાળા જળાશયને ' એવા હદ વિશેષને અને પર્વતને