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प्रमेयोतिका टीका प्र. ३ उं. ३.३७ एकोरुकद्वीपस्थानामाकारभावादिकम् ५७५ 'रततळीवइयमउय मंसल पत्थलक्खणसुजाय अच्छिदजालपाणी' रक्ततलोपचित मृदुकमांसल प्रशस्तलक्षण-सुजाताच्छिद्र जालपाणयः, तत्र रक्ततलौ-अरूणौ श्रधोभागे उपचित्तौ - उन्नतौ औपचारिक वा क्रमेण हीयमानोपचय मृदुकौ - कोमको मांसल - परिपुष्टौ प्रशस्तशुभचिह्नयुक्तौ लक्षणौ सुजातौ जन्मतः सुव्यवस्थित अच्छिद्रजालौं - अन्तरालरहिताङ्गुति समुदायौ एतादृशौ पाणौ दस्तों येषां ते तथा, 'पीवर वट्टिय सुजायकोमलवरंगुलिया' पीवर वृत्तसुजातकोमलवरागुजिंकाः, तत्र पीवराः - शरीरौचित्येन स्थूला वृत्ता वर्तुलाः सुजाताः सुव्यवस्थिताः कोमला वरा मस्तलक्षणोपेता अगुलयो येषां ते तथा 'आतंत्रचलिण सुचिरुइरणिदणक्खा' आताम्र तलिन शुचि रुचिर स्निग्धनखाः, आताम्राः - ईषद्रक्ताः तकिना:- प्रतलाः शुचयः - पवित्राः-निर्मला रुचिरा मनोज्ञाः स्निग्धाः - चिकणा मंडलपत्थ लक्ष्खण सुजाय अच्छिद जालपाणी' इनके दोनों हाथ रक्त तल वाले होते हैं-अरुण होते हैं- उपचित होते हैं-अधोभाग पुष्ट होते हैं, उन्नत होते हैं-नीचे की ओर अधिक झुके रहते हैं। मृदुलचिकने, मांसल - मजबूत, प्रशस्त लक्षण युक्त, सुन्दर - आकार संपन्न, और छिद्र रहित अंगुलियों वाले होते हैं । 'पोथरचट्टिय सुजाय कोमलवरंगुलिया' ये अंगुलियां इनकी पीयर मजबूत होती हैं वृत्त - गोलाकार होती हैं- सुजात - सुन्दर होती हैं एवं कोमल होती हैं 'आतंयतलिणसुचि
हर जिद्धणखा चंद्रपाणि लेहा, सुरपाणि लेहा संखपाणि लेहा, चक्क -- पाणिलेहा, दिसासो थियपाणिलेहा' हाथों के अंगुलियों के नख कुछ २' लाल होते हैं, तीन-पतले होते है, शुचि-पवित्र होते हैं-साफ होते हैं, रूचिर - मनोहर होते हैं, स्निग्ध-चिकने होते हैं। रूक्षता से हीन होय छे. अने गुप्त रहे छे 'रचतलोवइय मउय मंसलपसत्थलक्खणमुजाय अच्छिद जालपाणी' तेभनामे हाथो शतातणीया वाजा होय छे. अर्थात् तेभनी हथेली એ લાલ હૈાય છે. ઉપચિત હૈાય છે. અર્થાત્ નીચેના ભાગપુષ્ટ હૈાય છે. ઉન્નત डोय छे. नीथेनी तर३ जुलैला रहे है. भृत शिवाजा, मांसल, भभूत, પ્રશસ્ત લક્ષગ્નવાળા, સુંદર આકારવાળા અને છિદ્રોવિનાની આંગળીયાવાળા डाय थे. 'पोवर त्रयि सुजाय कोमलवर गुलिया' तेभनी मांगणीयो यीवर भन्भूत होय छे. वृत्त-गौण भारवाणी होय छे. सुन्नत भने सुन्दर होय छे. 'आतंबलिण सुचिरुरणिद्वणखा, चंद्रपाणि नेहा, सूरपाणिलेहा, संखपाणिलेहा, चकपाणि लेहा, दिमासोअस्थियपाणिलेद्दा' तेमना हाथोनी भांगजीयानां नथे। કંઈક કઈક લાલ હોય છે. તલીન કહેતાં પાતળા હોય છે. શુચિનામ પવિત્ર होय छे. अर्थात् साई होय छे. ३रितां भनोहर होय छे, स्निग्ध