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________________ प्रमेयधोतिका टीका प्रे २ सू०२१ विशेषतस्तिर्यगादीनां संमिश्रं नवममल्पवहुत्वम् ६२९ नैरयिकनपुंसका असंख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'लंतए कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' पञ्चमपृथिवीनारकनपुंसकापेक्षया लान्तककल्पे देवपुरुषा असख्येगुणाधिका भवन्तीति । 'चउत्थीए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' लान्तकदेवपुरुषापेक्षया चतुर्थी पृथिव्या नारकनपुंसका असंख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'वंभलोए कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' चतुर्थ पृथिवीनारकनपुंसकपेक्षया ब्रह्मलोके कल्पे देवपुरुषा असंख्येयगुणा अधिका भवन्ति इति । 'तच्चाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' ब्रह्मलोकदेवपुरुषापेक्षया तृतीयस्यां पृथिव्यां नैरयिकनपुंसका असंख्येयगुणा अधिका भवन्तीति । 'माहिदे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' तृतीयपृथिवीनैरयिकनपुंसकापेक्षया माहेन्द्रे कल्पे देवपुरुषा असख्येयगुणा अधिका भवन्ति । 'सणंकुमारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' माहेन्द्रकल्पदेवपुरुषापेक्षया सनत्कुमारकल्पे देवपुरुषा' असंख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'दोच्चाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' सनत्कुमारकनपुंसक है वे महाशुक्रकल्प के देव पुरुषो की अपेक्षा असंख्यातगुणे अधिक है "लंतए कप्पेदेवपुरिसा असंखेज्जगुणा" लान्तक कल्प में जो देव पुरुष है वे पाँचवीं पृथिवी के नारक नपुंसकों की अपेक्षा असख्यातगुणे अधिक है । "चउत्थीए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' लान्तक कल्पके देवपुरुषों की अपेक्षा चतुर्थी पृथिवी के जो नारक हैं वे असख्यातगुणे अधिक हैं । "वंभलोए कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" ब्रह्मलोक कल्प में जो देव पुरुष हैं वे चतुर्थी पृथिवी के नारकों की अपेक्षा असख्यातगुणे अधिक है। ‘तच्चाए पुढवीए णेरड्यणपुंसगा असंखेज्जगुणा" ब्रह्मलोककल्प के देवपुरुषो की अपेक्षा तृतीय पृथिवी में जो नैरयिक नपुंसक हैं वे असंख्यातगुणे अधिक हैं। “माहिंदे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" तृतीय पृथिवी के नारको की अपेक्षा माहेन्द्रकल्प के देवपुरुष असंख्यातगुणे अधिक है "सणंकुमारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा” माहेन्द्रकल्प के देवपुरुषो की अपेक्षा सनत्कुमार कल्प में जो देव पुरुष हैं वे असख्यातगुणे अधिक है । "दोच्चाए पुढवीए णेरड्यणपुंसगा असखज्ज४२तां असभ्याता धारे छ “लतए कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" वान्त: ५ना १५३॥ पायभी पृथ्वीना ना२४ नसो ४२तां ससमन्यातग! वधारे छे. "चउत्थीए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असखेज्जगुणा" al-d: ४८पना अधुषा ४२त याथी पृथ्वीना ना२। असभ्यातग! पधारे छे. "वभलोए कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" प्रायो કલ્પમાં જે દેવપુરૂષે છે, તેઓ ચેથી પૃથ્વીના નૈરયિક કરતા અસંખ્યાતગણું વધારે છે. "तच्चाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असखेज्जगुणा" प्रहला ६५ना हेवपुषः १२ता श्री पृथ्वीना नरयि नस। अस भ्यातगणवधारे छे. "माहिंदे कप्पे देवपुरिसा असंखेब्जगुणा" श्री पृथ्वीना ना२। २ता माहेन्द्र ४८५न वपुषा असभ्याता धारे छ. "सणकुमारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" माउन्द्र ४६५ना हेव ५३॥ २di सनमा२ ४६५ना हेक्Y३षो मस ज्यातग! पधारे छे “दोच्चाए पुढवीप णेरइयणपुंसगा
SR No.010388
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages693
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size44 MB
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