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________________ - ____ोजीवाभिगमस्त्रे मा पनि समागम । न्नु यथा धर्मास्तियायाधर्मास्तिफाययोर्देशप्रदेशौ कथितौ तथा माय प्रदेशो का नाम इति उन अत्रोभ्यते एकार्यव वर्तमानकालस्य परमार्थतः *३. म त नागनकालयोन्तु विनष्टानुपन्न वात् ततः काय वत्याभावेन देशप्रदेशकपनाF , भवनि, इति । मनु का लोकप्रसिद्धवान् स्वीकनन्यौ, धर्मास्तिकायाधर्मास्तिकायौ तु लोकप्रसिद्धचसि मनाया विनिचेत मयम् धर्मास्तिकायाधर्मास्तिकाययोरप्रत्यक्षतया प्रतीतिविपि नायकायम्य गनिन्थिनिन्पन्य सर्वसमतावेन तदद्वारा तत्कारणयोर्धारित. । प्रभासप जो समय यह मनाममय है अथवा अदा का जो समय वह अद्धा मगर । माय निदिदाग भाग -प होता है। का - मिस प्रकार मापने धर्मास्तिकाय एवं अधर्मास्तिफाय के देश और प्रदेश कहे प्रतार में मनाममय में देश और प्रदेश क्यों नहीं कहें। नर- माय में एक ही वर्तमान कालका मन्द है। वह वर्तमान काल एक समय रहता। मन र अनागतकाट विनष्ट पद अनुत्पन्न होने से सत्त्व रूप नहीं है। ये सापालभाय में देश प्रदेश कल्पना काल के नहीं होती है। का.. और आरा ये तो लोक में प्रमिद है-इसलिये ये तो माने जा सकते inाय और अमानकाय ये लोक में प्रसित नहीं है। अतः लोक में इनकी प्रति , अभायां में माना जा सकता। उत्तर... पाना , मारिनकाय और अधर्मास्ति काय यद्यपि प्रत्यक्ष से प्रतीति मांत काय और अधारित काय के फार्य जो गतिस्थिति में हेतु होना છે જે મગ ન અાસમા કહ છે અથવા અદ્દાને જે સમય તે અદ્ધાસમય છે. નિવિ કાગ છે 1---૧પ જેમ પમ્બિકાય અને અપમાસ્તિકાયના દેશ અને પ્રદેશો કા, RC भयना ने शो L नथी? 12 माना । ५ (तिय) छे. ते पतमान समय ૧ ક ક નજર ને વિદળ વિના અને અનુત્પન્ન કરવાને કારણે સવરૂપ २.१. १.. नाम प्रदेश सलवी नथी. - २५:३५, २१ मत, तेधी तमना मस्तित्वनी १ ५. ५ अने ममातिय नभनीता गया. ... 1 ૨ ક. - પ 1 :424ने मायने अन्य ५५ ન અને વિધિમાં મદદ રૂપ થવાનું તેમનું કહે તે સ૬.
SR No.010388
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages693
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size44 MB
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