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जीवाभिगमसूत्र
उरसा हृदयेन परिसर्पन्ति - चलन्ति यास्तास्तथा । भुजपरिसर्पिण्यश्च भुजाभ्यां याः परिसर्पन्ति - चलन्ति तास्तथा । 'से किं तं उरपरिसप्पिणीओ' अथ कास्ता उरः परिसर्पिण्यः ? भगवानाह - उरपरिसप्पणीओ तिविद्याओ पन्नत्ताओ' उर परिसर्पिण्यस्त्रिविधाः प्रज्ञप्ताः 'तं जहा' तथथा - 'अहीओ' अद्यः - अहिस्त्रियः 'अयगरीओ अजगर्य :- श्रनगरस्त्रियः 'महोरगाओ' महोरग्यो महोरगस्त्रियः । 'सेतं परिसप्पणीओ' ता एता अहिख्यादय उरः परिसर्पिण्यो निरूपिता इति ।। ' से कि तं परिसप्पिणीओ' अथ कास्ता भुजपरिसर्पिण्य इति प्रश्नः, उत्तरयति - भुयपसिप्पिणीओ अगविहाओ पन्नताओ' भुजपरिमर्पिण्योऽनेकविधाः - अनेकप्रकारकाः प्रज्ञप्ताः - कथिताः, 'तं जहा ' तद्यथा - 'गोडीओ' गोधिकाः 'णउलीओ' नकुल्यः 'सेधाओ' सेधा. 'सेलीओ' शैल्यका. 'सरडीओ' सरट्य. 'लेरिथीओ' सैरिन्ध्यः 'ससाओ' शशाः 'खाराओ' खाराः 'पंचलोइयाओ' पञ्चलौकिकाः 'चटप्पयाइओ' चतुष्पदिका. 'मूसियाओ' मूषिकाः मुगुंसीओ मुगुमिका. दीर्घरोम
चलती है। इनमें 'से कि त उरपरिसप्पिणीओ' उर परिसर्पिणी कितने प्रकार की होती है इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु कहते हैं " गोग्रमा" हे गौतम ! ' उरपरिसप्पिणीओ तिविहाओ पण्णत्ताओ' उर परिसर्पिणी तोन प्रकार की होती है 'तं जहा' जैसे - " अडीओ अयगरीओ, महोरगीओ" महिस्त्री सामान्य सर्पस्त्री, अजगरस्त्री, गौर महोरगस्त्री 'से तं पसिपिणीओ" इस प्रकार से थे परिसर्पिणीयों स्त्रियां कही हैं "से किं तं भुयपरिसप्पिणीओ" हे भदन्त ! भुजपरिसर्पियो के कितने भेद होते हैं। गौतम | "भुयपरिसप्पिणीओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ" भुजपरिसर्पिणियो के अनेक भेद होते हैं "तं जहा " जैसे- "गोहीओ" गोधिका "उलीओ" नकुली 'सेवाओ' सेधा "सेलाओ" सेला "सरडीओ " - सरटी - गिरगिटखी "ससाओ" शशकी - खरंगोसखी “खाराओ" खोग 'पंचलोईयाओ' पंचलौकिक - भुजपरिसर्प की एक जाति
સર્પિણી એટલે કે-જેએ ભુતૃઆ--હાથના ખળથી ચાલે છે તે આ પ્રમાણે પરિસર્પિણી खियाना मे सेहो ऐसा छे. 'से कि तं उरपरिसप्पिणीओ” से लगवन् ३२ परिसर्पिथी डेंटला प्रारनी होय हे ? "गोयमा' हे गौतम | "उरपरिसप्पिणीओ तिविहाओ पण्णत्ताओ" २: परिसर्पिणी स्त्रिये । त्रयु प्रहारनी होय हे "तं जहा " ते त्रषु प्रअरी मी प्रमाणे छे. "अहीओ अयगरीओ, महोरगीओ" अहिसी - भेटते हे सामान्य सर्पानी स्त्री, नगर सी, भने भोरगखी, "से त्त परिसपिणीओ" मा प्रभाये या परिस चिंधी खियोना हो "से किं तं भुयपरिसष्णीओ" हे भगवन् लुट परिसर्पिणी स्त्रियांना भेटला लेहो हे छे ? "गोयमा ! भुयपरिसप्पिणीओ अणेगविहाभो पण्णत्ताओ" હું ગૌતમ । ભુજ પરિસસિપીએના અનેક ભેંટા થાય છે, ' त जहा" हे भा प्रभा
" गोहाओ " गोधिश - धी "णउलीयो" नडुसी — नोणीयानी स्त्री "सेघाओ" सेधा शावडी
ना शरीरमां अंटा होय छे " से लाओ" सेवा 'सरडीओ" अथंडी "ससामो” ससती