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जीव और कर्म-विचार।
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हे उतने दी सफडा वपोंकी आवाधो स्थिति होती है या. भावाधो।
जिन फर्मोकी उत्कृष्ट स्थिति मंत फोटायोडि सागरकी है उनका भावाधाकाल मतमुहर्त है।
यह फर्म स्थिति संज्ञा पचेन्द्रिय जीवोंकी समझना
भावार्थ-जैसे स्वाति सस्थान या नागच संहननकी १४ कोटामोडि सागरफी उत्कष्ट स्थित हैं तो इनफा आवाधाफाल २४ मौ वर्ष होगा या फुजक संस्थानकी उत्कट स्थिति १६ फोडाफोदि सागरफी है तो इस पर्म प्रकृतिका भावाधाफाल सौगह सोच होगा। एफ घोडाकोडि सागरकी यायुका बाया. धापाल सौ वर्ष होगा। मावाधामाल विना फर्मको स्थिति नही होती है जिन फोकी स्थिति संत: कोडाफोडि सागरको है उन कमोका आवाघाफाल तमुहर्त है। बंधकी अपेक्षासे सर्वत्र पद क्रम होता है।
एफन्द्रिय जीवकी तो मिथ्यात्व (दर्शनमोहनीके धमकी स्थिति एक सागरकी है बंधको अपेक्षा यह कर्म स्थिति और आवाधाकारका वर्णन है। .
पायोंकी स्थिति ( एफ इन्द्रिय लोधफी अपेक्षासे) एक सागरफे सातमाग फरना चाहिये उसमेंसे चार भाग भागकी मायु है। एक सागरफे ४ भाग है । शानावरण दर्शनावरण अंतराय सातावेदनी फर्मकी उत्कृष्ट स्थिति एक सागरके सातभागमेंसे तीन मागको आयु है। सागरके । माग स्थिति हैं। नाम गोत्र और