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* जिनवाणी संग्रह *
सिद्धसे गजपुर आये। पिता सुदर्शन माता मित्रा लख सुख पाये। शुभ कुरुवंश महान हेम तनु मन्छ चिन्हवर । तीस वांप तन तुग त्रिजन मनमोहन सुन्दर ॥ सहस्त्र चउरासो वर्षका आयु खंड आसन अटल। शिवथान शिखर सम्मेद जिन बन्दों तिनके पद कमल ॥ १६ ॥ मल्लिनाथ तज विजय जन्म मिथिलापुर लीमा । कुम्भ पिता रक्षिता माताको बहु सुख दीना ॥ वंश कहो इक्ष्वा हेम तनु घट लक्षण वर । काय धनुष पश्चीस तुग मह लख सुर नर ॥ आयु वर्ष पचपन सहस्र खड्गासन सोहै अचल । शिवथान शिखर सम्मेदवर तीर्थराज विसरे न पल ॥२०॥ मुनिसुव्रत अपराजितसे कुशाग्रपुर राजे । पितु सुमित्र पद्मावत माताको सुख साजे ॥ हरिवंशी तनु श्याम कच्छ लक्षण शुभ सोहै। बीस धनुषका काय तुग देखत मन मोहै । तीस सहस्र सु वर्षका आयु खंग आसन सुभग। सम्मेद शिखर शिवथान प्रभु तीर्थराज भवि मुक्ति मग ॥ २२ ॥ प्राणत तज नमिनाथ जन्म मिथिलापुर लीना । विजय पिता वप्रामाताको अति सुख दीना ॥ विमल वंश इक्ष्वाकु वणे तनु हेम सुहावन । पद्म पाखुरी अङ्क पञ्चदश चांप सुभग तन || आयु वर्ष दश सहस्रका पद्यासनसे शिव गये। सिंद्धक्षेत्र सम्मेदगिरि वन्दित हों मंगल नये ॥ २२ ॥ बैजयन्तसे नेमनाथ सूरीपुर प्रगटे । सिद्ध विजय शिवदेवीके देखत दुख विघटे ॥ लहो श्रेष्ट हरिवंश श्याम तनु शंख अङ्कवर। काय धनुष दश सहस्त्र वर्षका आयु पूर्णधर ॥ खड्गासन गिरिनारिसे राजमती पति शिव गये। पशुबंदि छुड़ाई दयाकर तिन पदपंकज हम नये ॥२३॥ प रस प्रभु आनत दिव तज काशीमें राजे। अश्वसेन बामा माता