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________________ निश्चय-व्यवहार विविध प्रयोग प्रश्नोत्तर ] [ १७५ अध्ययन-मनन को व्यर्थ तो न बतायो। उसके अध्ययन-मनन करने मे जीवन लगा देनेवालों को निठल्ला तो मत समझो। बहाने न बनायो, जितना बन सके उतना जिनागम का अभ्यास अवश्य करो, तुम्हारा कल्याण भी अवश्य होगा। (१३) प्रश्न :- लगता है, आप नाराज हो गये है ? उत्तर :- नाराज होने की बात नही है भाई । पर यह बात अवश्य है कि यदि कोई बात समझ मे न आवे तो उपयोग और अधिक स्थिर करके ममझना चाहिए, समझने का प्रयत्न करना चाहिए। फिर भी न आवे तो जिज्ञासाभाव से विनयपूर्वक पूछना चाहिए। पर यह कहाँ तक ठीक है कि यदि हमारी समझ मे कोई बात नही आती है, तो हम उसे निरर्थक ही बताने लगे। (१४) प्रश्न:-तो आखिर आप चाहते क्या है ? उत्तर - कुछ नही, मात्र यह कि सम्पूर्ण जगत जितना बन सके, जिनवाणी का अभ्याम अवश्य करे। क्योकि सच्चे सुख और शान्ति की मार्गदर्शक यह नित्यबोधक वीतरागवाणी ही है, जिनवाणी ही है । इम निकृष्टकाल मे साक्षात् वीतरागी-सर्वज्ञ परमात्मा का तो विरह है, अत उनको दिव्यध्वनि के श्रवण का साक्षात् लाभ मिलना मभव नहीं है। सन्मार्गदर्शक सच्चे गुरुपो की भी विरलता ही समझो। हमारे परम सद्भाग्य से एकमात्र जिनवारणी ही है, जो सदा, सर्वत्र, सभी को सहज उपलब्ध है । यदि हम बहानेबाजी करके उसकी भी उपेक्षा करेगे तो समझ लना कि चारगति और चौरासी लाख योनियो मे भटकते-भटक्ते कही ठिकाना न लगेगा। धर्मपिता सर्वज्ञ परमात्मा के विरह मे एक जिनवाणी माता ही शरण है। उसकी उपेक्षा हमे अनाथ बना देगी। आज तो उसकी उपासना ही मानो जिनभक्ति, गुरुभक्ति और श्रुतभक्ति है। उपादान के रूप मे निजात्मा और निमित्त के रूप मे जिनवारणी ही आज हमारा सर्वस्व है। निश्चय से जो कुछ भी हमारे पास है, उसे निजात्मा मे और व्यवहार से जो कुछ भी बुद्धि, बल, समय और धन प्रादि हमारे पास है, उसे जिनवारणी माता की उपासना अध्ययन, मनन, चिन्तन, सरक्षरण, प्रकाशन, प्रचार व प्रसार मे ही लगा देने मे इस मानवजीवन एव जैनकुल मे उत्पन्न होने की सार्थकता है। अतः विषय-कषाय, व्यापार-धन्धा और व्यर्थ के वादविवादो से ममय निकालकर वीतरागवारणी का अध्ययन करो, मनन करो, चिन्तन
SR No.010384
Book TitleJinavarasya Nayachakram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1982
Total Pages191
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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