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श्चय-व्यवहार : विविध प्रयोग प्रश्नोत्तर ]
[ १६६ उत्तर - हाँ, ये नय दोनों ही शैलियों में पाये जाते है । आगमशैली उपनय के नाम से तीन भेदों में प्राप्त होते है तथा अध्यात्मशैली मे पवहार नय के भेद-प्रभेदों के रूप में चार प्रकार के होते है। इन सब की
र्चा पहले की ही जा चुकी है। अध्यात्मशैली में इनका प्रयोग आत्मा के न्दर्भ में ही होता है, जबकि पागम शैली मे सभी द्रव्यो के सन्दर्भ में नका प्रयोग पाया जाता है। यही कारण है कि जिसप्रकार आगम के सद्भूतव्यवहारनय में स्वजातीय, विजातीय आदि भेद बनते है; सप्रकार के भेद अध्यात्म के असद्भूतव्यवहारनय में नहीं होते। तथा व्य में द्रव्य का उपचार आदि नौ भेद भी आगम के असद्भतव्यवहाग्नय हो बनते है, अध्यात्म के असद्भूतव्यवहारनय में नहीं।
अध्यात्म के नयो के सभी उदाहरण प्रागम मे भी प्राप्त हो मकते 5, आगम के भी माने जा सकते है, क्योकि अध्यात्म आगम का ही एक गंग है और आत्मा भी छह द्रव्यो मे मे ही एक द्रव्य है। परन्तु पागम के भी नय अध्यात्म पर भी घटित हो - यह आवश्यक नहीं है ।
आगम समस्त लोकालोक को अपने मे ममेटे होने में उसका क्षेत्र वेस्तृत है और उसकी प्रकृति भी विस्तार में जाने की है । मात्र आत्मा नक मोमिन होने तथा अपने मे ही सिमटने की प्रकृति होने में अध्यात्म के नयों में भेद-प्रभेदो का वैसा विस्तार नही पाया जाता, जमा कि आगम के नयों में पाया जाता है।
आगम फैलने की, और अध्यात्म अपने में ही सिमटने की प्रक्रिया का नाम है।
(८) प्रश्न :- यदि यह बात है तो फिर आपने अध्यात्मनयों की चर्चा में आगम के इन नयों का उल्लेख क्यों किया? इससे यह भ्रम हो सकता है कि ये भी अध्यात्म के ही नय है।
उत्तर :- निश्चय-व्यवहार यद्यपि मुख्यरूप से अध्यात्म के नय है, तथापि इनका प्रयोग पागम में होता ही न हो। -मी बात भी नही है। जब निश्चय-व्यवहार का प्रयोग छहो द्रव्यों की मुख्यता से होता है, तव आगम के नयो के रूप में ही होता है। तथा आत्मा की मुख्यता से होता है तो अध्यात्म के नयों के रूप में उनका प्रयोग पाया जाता है । अतः ऐसा कहना पर्णतः सत्य नहीं है कि यह मात्र अध्यात्मनयों की ही चर्चा चल रही है; हाँ यह बात अवश्य है कि निश्चय-व्यवहार की यह चर्चा अध्यात्म की मुख्यता से अवश्य की जारही है । अतः गौणरूप से की गई आगम के नयों की चर्चा