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• भगवान् पार्दनाय : १५५ । कर्मको स्थिति : २३० ९ महामेघवाहन महाराजा
कर्मका अनुभाग : २३२ सारवेल : १८५
कर्मका प्रदेशवन्ध : २३३ ९ खारवेलके शिलालेखका
कर्मके माधव-कारण : २३३
कर्मका विपाक : २३९ मापानुवाद (श्री. प. सुखलालजी कृत) : २०४ ११ जैन दर्शनमें धर्म और
अधर्मतत्त : २४४ १. जैनोंका कर्मवाद (२) : २१० । धर्म
: २४ कमकी प्रकृति : २११ । अधर्म
: २५४
1 श्रीचारित्र स्मारक ग्रन्थमालाके कुछ उपयोगी ग्रन्थ
श्वेताम्बर-दिगम्बर-दोनों फिरकोंका मतैक्य दरसाते शास्त्रपाठीका संग्रह व उनका प्रमाणभूत अवलोकन । मून्य-देढ रुपया।
धर्मविन्दु-धर्मके मूल विचारोंका स्पष्टीकरण करनेवाला सूत्रात्मक ग्रन्थ व उसका विवेचन । मूल्य-चार रुपया।
जैन परंपरानो इतिहास-भ. महावीरस्वामीसे वि. सं. १००० तकका जैन श्रमण-परंपरा, राजा-महाराजा, मंत्रीमहामंत्री, श्रावक-श्राविका, गण-गच्छ, तीर्थ-महातीर्थ, शास्त्रसाहित्य आदिका शृंखलाबद्ध इतिहास । (छप रहा है)
श्रीचारित्र स्मारक ग्रन्थमाला
ठि श्री. चन्दुलाल लखुमाई परीख मांडवीको पोलमें नाजीगभूधरकी पोल, अहमदाबाद (गुजरात)