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प्रकाशित करनेकी उत्साहपूर्ण सूचना की है। उंझा फार्मसीके मालिक श्रीमान् भोगीलालभाई नगीनदासजीने हिल्दौरीवाले वैद्य गोपीनाथजी गुप्तके पास स्वयं प्रकाशित करनेके हेतुसे तैयार करवाया हुआ यह अनुवाद हमें सहर्ष प्रकाशनार्थ दिया है। इस अनुवादका गुजराती प्रन्थके आधार पर श्री. रतिलाल दीपचंद देसाईने संशोधन किया है।
और शारदा मुद्रणालयने इसे सुचारु रूपमें मुद्रित किया है - एतदर्थ इन सभीके हम ऋणी हैं एवं उन्हे धन्यवाद देते हैं।
हिन्दी भाषाभाषी जनता (और राष्ट्रभाषाकी दृष्टिसे अब तो सारा देश) इस ग्रन्थके द्वारा भारतके एक विशुद्ध एवं गौरवपूर्ण दर्शनको पहिचाने और उसके द्वारा भारतीय संस्कृतिका दर्शन करके भारतवर्षकी नैतिक एवं आध्यात्मिक प्रगतिमें अग्रसर हों ऐसी अभिलाषा करते हुए हम यह ग्रन्थ जिसुओंके करकमलोंमें पेश करते है।
अहमदाबाद. चैत्र शुकला १: वि.सं. २००८
-प्रकाशक (श्रीचारित्र स्मारक ग्रंथमाला)।