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प्रेम पत्री रा दूहां
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निगुणां हंदो नेह, ऊगत दिन छाया जिसी। सुगुणा तणौ सनेह, जसा ढलती छाहड़ी ॥६॥ जसा सुसजनियाह, मन गमता मिलिया नहीं। , काला होठ थयाह, नीसासा मुख नाखता ॥६१॥ : जो जावइ तउ जोइ, हरणाखी हित वांटि नइ। नयण गमाया रोड. जीव जसा छै जावता ॥१२॥ कीधी प्रीत कुठार, माजन लीधौ माहिलौ। गेरै काइ गमार, जल ऑख्या हुती जसा |६३॥ मन मेलू मन मेल, इबडौ हठ काइ आदरेड् । भरि दिल सं दिल भेल, निठुर जसा हुइजे नहीं ॥१४॥ जो देवौ जगदीस, मो पांखड़ियां करि मया । विधि सुं विसवा बीस, उडी मिलत आवै जसा ॥६॥ . मिलियौ प्रेम म मेलि, वलती मिलसी नहीं चले। झगड़ी ही करि झेलि, जोइ आडौ आसी जसा ॥६६॥ जो जोड़े तो जोड़ि, आतम , जोड़ी आपणी । जीव जासी तन छोड़ि, जोयां न मिलसी जसा ॥६॥ 'प्रीत सुं प्रीत प्रमाण, मिलीया मन राखइ नहीं। .. ऊलटि अंग अमाण, जड़ छाता ने मिटइ जसा ॥६८॥ कदे न राखइ : काण, मनसा मेलू सुं कहइ । ..." आढवीयौ अवसाण, सुघड़ो सैणनिको जसा ॥६६॥ सुखिया सहु संसार, नीका नरहु भव नीगमइ । ..