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देवीनी री स्तुति
३६६ रगत नेण -रात मुखी, रातंबर रो साल सहस भुजे हथीयार ; सझि विड रूपण वैताल ॥२॥ असुर जिकै असलामरा, मिलीया- वेढक मल्ल देवीन... देतों दलै, । हूकल.-, लागी हल्ल ॥३॥
__ - छंद,-पाढगति हल्ल हल्ल लागी, हूक टोले ऊडै लोह टूक सागिड़दा गिडदा वाजैसोक वेरियां, विचाल। सणणवहंत .सर सरिमा फिरै समर गडड वाजंत गोला- नाग्डिण्डिदा नाल ॥४॥ गाग्डि डिदा गाजै गन ढालां सोहे नेज धजा. हेवरां नरां हैंखार पामिजे न पार सीहणी पलाणी-सीह वेरियां तणो न बीह हाग्डि ग्डिदा हथियार हीवती हजार ॥शा दागिड गिडदा दीयै दोट चाग्डि ग्डिदा चोट चोट ईसरी रहे न ओट- झंझे झाझे झूल खांडा तणी खोटि खड़ धाग्डि डिग्डिदा पाड़े धडा चटका भरती -वाल -- त्रीवीया त्रिसूल ॥६॥ ना ग्डिदा घुरै नीसाण जंग मातो जम राण जाग्डि ग्डिदा ढाल जांगी सिंधुडे सबद्द धुंआ माण विधिकट नारद नाचै निकट ताग्डि ग्डिदा तता थेइ वाचतो विहद्द ॥७॥