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___श्री कसारी मंडन पार्श्वनाथ स्तवन २६१ केसर सखर घसावउ, मृगमद घनसार मिलावउ हो ।पा। परघल पूज रचावउ, आगलि भली भावन भावउ हो ॥२पा।। सुरतरु सुरमणि सरिखउ, हरि करि निज नयणे निरखउ । पा । मुख दीठां दुख जायइ, भव भव ना पाप पुलायइ हो ॥३पा।। दउलति दायक दीठउ, मुझ नयणे लागइ मीठउ हो । पा। सफल थयउ ऊमाहउ, लीधउ नरभव नउ लाहउ हो ॥४पा।। बहु दिवसे मुझ मिलीयउ, दुख दोहग दूरइटलीयउ हो ।पा। जिम जिम वदन निहालं, तिमतिम समकित उजुआलु हो।पा।। हीयड़इ हेज न मायइ, दूरइखिण इक न रहायइ हो । पा। प्रीति पूरव भव केरी, लागी तुझसं अधिकेरी हो ॥६पा।। आज मनोरथ फलीयां, आज थयां माहरइ रंग रलीयां हो ।पा। जात्र चड़ी सुप्रमाणइ, जिनहरख भलइ इणि टाणइ हो ॥७पा।।
श्री कंसारी मंडन पार्श्वनाथ स्तवन
ढाल ॥ नींदड़ली वइरणि हुइ रहो | एहनी कंसारी पास अरज सुणउ, कर जोड़ी हो कहुँ प्राण अधार का तुझ मूरति मुझ हीयडइ वसी, सुकुलीणी हो मन जिम भरतार॥१को मनवंछित आशा पूरवइ, दरसण थी हो दुख जायइ दूरि का साचइ मन साहिब सेवतां, सुख संपति हो थायइ तुरत हरि ।।२।। वाल्हेसर मुजनइ वालहउ, लागइ लागइ हो जिम चकवी भाण की जाणुं अहिनिसि अनमिख लोयणे, देखें दरसन हो उलसइ मुझ प्राणा३ पाणीवल न रहुं वेगलउ, तुझ सेती हो हुं तउ निसि दीस ।