SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 271
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०३ f आठ भवांनी प्रीती । मा । नवमइ पिणि एहिज नाथ ॥ | या० ॥ मुगति महल राजीमती । मा । जिनहरष वणायउ साथ ॥ या०७ श्री नेमि राजिमती गीतम् ढाल || नणदल नी ॥ निगुण निरागी नाहलउ हे नणदल । नणदल मुझ सुथयउ सरोस मोरी नणदल | तोरण आवी फिरि गयु हे नणदल । नणदल दोस विना देई दोस || मो १ ॥ नेमि राजिमती गीतम् 1 नलदल थारउ हे वीरउ बाइ म्हारी थांहरउ हे वीरईयउ कदि घरि आवड़ मोरी नणदल हुं मन मांहे जाणती हे नणदल नणदल माणक चड़ीयउ हाथ, मोरी नणदल, माणक फीटी मणिकलङ हे नणदल हुड़ गयउ कीधी- अनाथ || मो० २ न० || आठ भंवा री प्रीतड़ी हे नणदल नवमह दीधी छोड़ि, मोरी नणदल || राचीन विरची गयउ हे नणदल । ल्यावर रुठड़उ बहोड़ || मो० ३ न० ॥ निसदिन झूरूं एकली हो नणदल | पिउ पिउ करूं पुकार मोरी नणदल ॥ " 7
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy