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आदिनाथ स्तवनानि
श्री शत्रुजय मंडन श्रीआदिनाथ स्तवः ढाल-आज माता जोगिणि ने चालउ जो वाजईयइ ॥ एहनी ॥ श्रावक सहु कोइ अागलि धर्म तणा जे धोरी । मधुर गीत गाती गुणवंती, पाछलि थई सहु गोरी रे ॥१॥
आज माहरा आदीसर नइ, इणि परि वांदण चाल्या । शत्रुजयनी पाजइ चढतां, पाप कर्म सहु पाल्या रे । आ. । तावत्ता 2 गंध्रप नाचइ, गुहिरउ मादल गाजइ । ताल कंसार तणी बली जोडी, रमक झमक तिहां वाजइ रे ॥२॥ जोता नाटारंभ जुगति सु, अरिहंत चरणे आया । म्हारा प्रभु नु दरसण देखी, परमाणंद सुख पाया रे ॥३ श्रा.॥ प्रेमइ त्रिगण प्रदक्षण देई, मूल गंभारइ पइसी । अम्हे चैत्य वंदण तिहां कीधर, श्रीजिन सनमुख वइसी रे।४ा.। हिवइ श्रावक द्रव्य स्तव विरचइ, तजी राग ने रोष । न्हाई धोई पहिरि धोतीया, मुख बांधी मुहकोस रे ॥ ५ श्रा..॥ केसर कपूर अने कस्तूरी, चंदन घसी उछांहई 1 भरी कचोली हाथे लेई, आवइ मंडप माहे रे ॥ ६ आ.॥ करी पखाल अंग प्रभु जी नइ, पूजक श्रावक भावई । । अंगी चंगी रची कुसुमनी, अलंकार पहिरावे रे ॥७ आ.॥ तीन लोकना स्वामि आगलि, धूप दीप दीपावइ ।'