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आदिनाथ स्तवनानि श्री विमलाचल आदिनाथ स्तवः
नाल- मोतीना गीतनी श्री विमलाचल ऋषभ निहाल्या, पूरव कृत सहु पाप पखाल्या । माहरउ मन मोबउ रिखम जी माहरउ मन मोबउ । मन मोबउ जिम चंद चकोरी, मन मोबउ जिम ईश्वर गोरी ।मा०। हियडु हेजइ अधिक भराणु, जनम सफल धन दिवस विहाणु।१। वाल्हेसर मुझ दरसण दीधु, मानव भवनउ मइ फल लीधु। मा०। पोतानउ प्रभु सेवक जाणी, करुणासागर करुणा आणी । २ मा०। सूरति मूरति मोहणगारी, दीठां हरषइ सुर नर नारी मा० तई बसि कीधर त्रिभुवन सारउ,तुतउ परतखि कामणगारउ ।३मा. जाणु अहनिसि चरणे रहीयइ, प्रभु आगलि निज सुख दुख कहियई वे कर जोड़ी सेवा कीजइ, सिवपुरना अविचल सुख लीजई।४मा०। परम सनेही पर उपगारी, पर दुख भंजण जन सुखकारी मा०। मुझनइ कुरम दृष्टि निहालउ,मात पिता बालक नई पालाश्मा०। राति दिवस हीयड़ा मां धारु, नाम थकी प्रातम निस्तारमा चरण कमल नी सेवा देज्यो, मुझ विनतड़ी सारे लेज्यो॥६मा०॥ जात्र सफल ए थाजो म्हारी, साहिब जी कीधी छइ ताहरी । मा०। अरज सुणउ श्री आदि जिणंदा,घउ जिनहरप परम पाणंदा ७मा.
॥ इति श्री आदिनाथ स्तव ॥