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[ २ ] जैन गुर्जर कविओ भाग-२ में जिनहर्ष की रचनाओं का विवरण जव हमने पढा तो मालूम हुआ कि पाटण के भडार में कवि के अनेक रानादि की प्रतियां होने के साथ-साथ फुटकर रचनाओं की एक संग्रह प्रति भी वहाँ है। उन दिनों आगम-प्रभाकर मुनिराजश्री पुण्य विजय जी पाटण में थे, उन्हें उस सग्रह प्रति की नकल करा भेजने के लिए लिखा तो आपने अत्यन्त कृपापूर्वक वहाँ से सुवाच्य अक्षरों में भोजक केशरीचन्द पूनमचद से उसको प्रतिलिपि सं० १९६२ में कराके भेजी तथा साथ ही जिनहर्ष सम्बन्धी गीत तथा उनकी हस्तलिपि का फोटो भी भेजा जिसका उपयोग हमने अपने ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह में उन्ही दिनों में कर लिया। इधर बीकानेर आदि के भडारों में कवि की जो लघु रचनाए प्राप्त हुई उनकी प्रतिलिपि भी करते रहे । इस तरह करीव ३० वर्षके प्रयत्न से कवि की लगभग ४०० लघु रचनाए हमने सगृहीत की, जो इस सग्रहमें प्रकाशित की जा रही हैं। पाटण से मुनिश्री पुण्यविजयजी ने हमें जो सामग्री भिजवायी उसके लिए हम उनके बड़े आभारी है। उनके प्रेपित सामग्री के अतिरिक्त भी पाटण के भंडारों में कवि की अन्य रचनामों की प्रतियाँ है पर वे प्राप्त न होने से उनका उपयोग किया जाना सम्भव न हो सका। साठ वर्ष की दीर्घकालीन साहित्य साधना में कवि ने और भी अनेकों फुटकर रचनाएं की जिनका कोई सग्रह प्राप्त नहीं होता इसलिए ज्यो-ज्यों खोज की जाती है, अज्ञात रचनाएं प्राप्त होती ही रहती है। प्रस्तुत नथ के छपने के बाद भी कवि की कुछ ऐसी ही अज्ञात रचनाए मिली हैं जिन्हें कवि की जीवनी व रचनाओं सम्बन्धी लेख के अन्तमें दे दी गई हैं।
* इनमें से १ गीत इसी मन्य के पृष्ठ ५२३-२४ में दिया गया है।
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