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सीमंधर-जिन-स्तवन [ ढाल-वीर वखाणी राणी चेलणा जी, एहनी ] सामि सीमंधर सांभलउजी, माहरी एक अरदास । हीयडउ मिलण उमाहीयउ जी,प्रीति तणइ पड्यउ पास ॥१॥ नाणइ भय मन केहनउ जी, राखीयउ न रहइ अनीत ।
आवइ जाइ हे जालूअउ जी, राजि चरणे मुझ चीत ॥२सा.॥ एक वाल्हेसर तु धंणी जी, सीस धरूं तुझ आण ।
अवर सुमिलण मुझ आखडी जी,
तुं हीज देव प्रमाण ॥३ सा.॥ भरम भूलइ थकइ मई घणाजी, जाणि शिव सुख तणी खाणि ।
सेविया हुसी सुर सांमठा जी,
खून खमि त्रिजग दीवाण ॥४सा.॥ माहरा अवगुण जोइस्यउ जी, तउ न सरइ कोइ काज ।
अवगुण गुण करि जाणिस्यउ जी.
तउ ही ज रहिसी मुझ लाज ॥५सा.।। माहरी प्रीति लागी खरी जी, जेहवी चोल मजीठ । १ भाखर गिरणइ न भीति ।