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वाशी हो रे लाल सुणइ सदा जे देसणा रे लाल,
धन धन ते नरनारि ॥३॥ हो रे लाल पुन्यवंत मांहि वषाणीयइ रे लाल,
___महा विदेह ना लोक । हो रे लाल देवी दरपण ऊलसइ रे लाल,
जिमि रवि देपी कोक ॥ ४ ॥ हो रे लाल विचरइ प्रभु जिणि देसमा रे लाल,
पगला जिहां ठवंत । हो रे लाल ते धरती पावन करइ रे लाल,
___ करइ उपगार अनंत ॥५॥ हो रे लाल भरतपेत्र ना आदमी रे लाल,
पोतइ बहु संसार । हो रे लाल ज्ञानीनउ विरह पड्यउ रे लाल,
संसय भयो अपार ॥६॥ हो रे लाल स्वामी अमन्यु करि मया रे लाल,
रापउ आप हरि । होरे लाल कहइ जिनहरय वाल्हां थकी रे लाल,
किम रहिवायइ दूरि ॥ ७॥
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