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________________ ४३ वाशी हो रे लाल सुणइ सदा जे देसणा रे लाल, धन धन ते नरनारि ॥३॥ हो रे लाल पुन्यवंत मांहि वषाणीयइ रे लाल, ___महा विदेह ना लोक । हो रे लाल देवी दरपण ऊलसइ रे लाल, जिमि रवि देपी कोक ॥ ४ ॥ हो रे लाल विचरइ प्रभु जिणि देसमा रे लाल, पगला जिहां ठवंत । हो रे लाल ते धरती पावन करइ रे लाल, ___ करइ उपगार अनंत ॥५॥ हो रे लाल भरतपेत्र ना आदमी रे लाल, पोतइ बहु संसार । हो रे लाल ज्ञानीनउ विरह पड्यउ रे लाल, संसय भयो अपार ॥६॥ हो रे लाल स्वामी अमन्यु करि मया रे लाल, रापउ आप हरि । होरे लाल कहइ जिनहरय वाल्हां थकी रे लाल, किम रहिवायइ दूरि ॥ ७॥ ५
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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