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[जिन सिद्धान्त
होने पर भी एक मात्र लेश्या (प्रवृति) के साथ ही इस प्रकृति का बंध पाया जाता है। लेश्या के अभाव में इस प्रकृति का बंध पाया नहीं जाता है।
प्रश्न-इस एक प्रकृति के बंध में कारण और कार्य सम्बन्ध क्या
उत्तर-नाम कर्म का उदय सो कारण और क्रिया गुण की प्रवृति रूप लेश्या सो कार्य क्रिया गुण की प्रवृति रूप लेश्या सो कारण और साता वेदनीय का बंध सो कार्य। ___ प्रश्न-बंध-विच्छेद होने से पहले किन कर्म प्रकृतियों का उदय-विच्छेद होता है ? ___ उत्तर-देव आयु, देवगति, चैक्रियक शरीर, वैक्रियक अंगोपांग, देवगत्यानुपूर्वी, अहारक शरीर, अहारक अंगोपांग, अयशाकीर्ति, इन आठ प्रकृतियों का उदय विच्छेद होता है। पश्चात् बंध का विन्छेद होता है ।
प्रश्न-बंध उदय दोनों ही साथ विच्छेद होने वाली कर्म प्रकृतियों कौनसी हैं ?
उत्तर-मित्थात्व, अनन्तानुबंधी ४, अप्रत्याख्यानावरणी ४, प्रत्याख्यानावरणी ४, संज्वलन ३, पुरुष वेद, हास्य, रति, भय, जुगुप्सा, एकेन्द्रिय, दो इन्द्रिय, तेइन्द्रिय चतुरिन्द्रिय जाति, मनुष्यगति, मनुष्यगत्यानुपूर्वी,