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[ जिन सिद्धान्त
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उत्तर --प्रमाद रूप भाव से छह प्रकृति का बंध होता है, (१) अस्थिर (२) अशुभ (३) असातावेदनीय ( ४ ) यशःकीर्ति (५) अरति (६) शोक |
प्रश्न – इन छह प्रकृति के बंध में कारण कार्य सम्बन्ध क्या है ?
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उत्तर -- संज्वलन कपाय का तीव्र उदय सो कारण और तद्रूप आत्मा का भाव सो कार्य तीव्र संज्वलन कपाय रूप आत्मा का भाव सो कारण और छह प्रकृति का बंध सो कार्य १
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प्रश्न - - -संज्वलन कपाय से कितनी प्रकृतियों का बंध होता है ?
उत्तर --संज्वलन कपाय रूप मंद भाव से ५८ प्रक्रतियों का बंध पड़ता है; (१) देव आयु (२) निद्रा (३) प्रचला (४) देवगति ( ५ ) पंचेन्द्रिय जाति (६) वैक्रियक शरीर (७) आहारक शरीर (८) तैजस शरीर (E) कार्माण शरीर (१०) समचतु रक्ष संस्थान (११) वैक्रिय अंगोपांग (१२) श्रहारक अंगोपांग (१३) वर्ण (१४) गंध (१५) रस (१६) स्पर्श (१७) देवगत्यानुपूर्वी (१८)
गुरुलघु (१६) उपघात (२०) परघात (२१) उच्छ्वास (२२) प्रशस्त विहायोगति (२३) त्रस (२४) बादर (२५) पर्याप्त ( २६) प्रत्येक शरीर (२७) स्थिर ( २८ ) शुभ