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जिन सिद्धान्त
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उत्तर - चारित्र मोहनीय की २१ प्रकृतियों का उपशम होने से यथाख्यात चरित्र को धारण करने वाले मुनि के ग्यारहवाँ उपशान्त मोह नाम का गुणस्थान होता हैं । इस गुणस्थान का काल समाप्त होने पर पारिणामिक भान से जीव निचले गुणस्थान में जाता है ।
प्रश्न- ग्यारहवें गुणस्थान में बंध कितनी प्रकृतियों का होता है।
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उत्तर - दसवें गुणस्थान में जो १७ प्रकृतियों का बंघ होता था उनमें से व्युच्द्धिति, ज्ञानावरण की पांन दर्शनावरण की चार, अन्तराय की पांच यशः कीर्ति, उप गोत्र इन सोलह प्रकृतियों के घटाने पर एक मात्र माता वेदनीय का म होता है ।
मना रे ?
प्रश्न-यारहवाँ गुणस्थान में उदय स्तिनी प्रकृतियों का होता है?
उत्तर- दस गुणस्थान में जो ६० प्रकृतियों का उदय होता है, उनमें से
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