________________
१७६
mmmmmmmm
[ जिन सिद्धान्त ____ उत्तर-तीर्थंकर प्रकृति के बिना १४७ प्रकृतियों की सत्ता रहती है।
प्रश्न-चौथे अविरत सम्पदृष्टि गुणस्थान का क्या
उत्तर-दर्शन मोहनीय की तीन, और अनन्तानुबंधी की चार इन सात प्रकृतियों के उपशम से अथवा क्षय से तथा सम्यक् प्रकृति के उदय से क्षयोपशम सम्यग्दर्शन होता है, और अप्रत्याख्यानवरणी क्रोध, मान, याया, लोम के उदय से व्रत रहित पाक्षिक श्रावक चौथे गुणस्थानवी होता है। प्रश्न-चौथे गुणस्थान में बंध कितनी प्रकृतियों का होता है? ___ उत्तर-तीसरे गुणस्थान में ७४ प्रकृतियों का बंध होता है, जिनमें मनुष्य आयु, देव आयु, तीर्थकर प्रकृति मिलाने से ७७ प्रकृतियों का घंध होता है।
प्रश्न-चौथै गुणस्थान में उदय कितनी प्रकृतियों का होता है ?
उत्तर-तीसरे गुणस्थान में १०० प्रकृतियों का उदय होता है, उनमें से सम्यक् मिथ्याच प्रकृति के घटाने पर रही इनमें चार आनुपूर्वी और एक मम्यक प्रकृति मिथ्यात्र इन पांच प्रकृतियों को मिलाने पर १०४ प्रकनिरों का उदय होता है।