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जिन सिद्धान्त
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उत्तर--मोह, कपाय और लेश्या रूप आत्मा की अवस्था विशेष का नाम गुणस्थान है।
प्रश्न-गुणस्थान के कितने भेद हैं ?
उत्तर-- चौदह भेद है-१ मिथ्यान्च, २ सासादन, ३ मिश्र, ४ अविरत सम्यकदृष्टि, ५ देशविरत, ६ प्रमत्त विरत, ७ अप्रमत्तविरत ८ अपूर्वकरण, 8 अनिवृत्ति, १. सूक्ष्यसाम्पाय. ११ उपशान्तमोह, १२ क्षीणमोह, १३ सपोगकेवली, १४ अयोगकेवली।
प्रश्न-गुणस्थानों के ये नाम होने का कारण क्या है ? उत्तर-मोहनीयकर्म और नामकर्म ।
प्रश्न-कौन कौनसे गुणस्थान का क्या क्या निमित्त है ?
.. उत्तर-~~-आदि के चार गुणस्थान दर्शन मोहनीय कर्म की अपेक्षा से हैं, पांच से दश गुणस्थान चारित्र मोहनीय के निमित्त से हैं, ग्यारह, पारह. तेरहवां गुणस्थान योग के निमित्त से है और चौदहवां गुणस्थान योग के अभाव के निमित्त से है।
प्रश्न--मिथ्यात्व गुणस्थान का क्या स्वरूप है ?
उत्तर-मिथ्यात्व प्रकृति के उदय से अतत्वार्थ श्रद्धान रूप आत्मा के परिणाम रूप विशेष को मिथ्याच गुणस्थान कहते हैं । मिथ्याच गुणस्थान में रहने वाला