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[जिन सिद्धान्त
आठ और एक श्रोत्र इन्द्रिय विशेष । संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव के दस प्राणः-पूर्वोक्त नौ और एक मन प्राण विशेष ।
प्रश्न-केवली भगवान के कितने प्राण हैं !
उत्तर-केवली भगवान के तेरहवै गुणस्थान में चार प्राण हैं-(१) कायप्राण, (२) वचन प्राण, (३) स्वासोच्छ्वास (४) आयु । केवली के इन्द्रिय तथा मन प्राण नहीं है क्योंकि यह प्राण न्योपशम ज्ञान में ही होता है, परन्तु क्षायिक ज्ञान में यह प्राण अकार्यकारी है तथापि शरीर में इन्द्रियाँ आदि की रचना जरूर है।
प्रश्न-चौदहवें गुणम्थान में केवली की कितने प्राण हैं ? - उत्तर-चौदहवें गुणस्थान के पहले समय में
केवली के मात्र आयु प्राण है। चौदहवें गुणस्थान के पहले समय में केवली के शरीर का विलय हो जाता है जिम कारण वहॉ काय, वचन तथा म्यामोच्छवास प्राण नहीं है।
प्रश्न- क्रमबद्ध पर्याय किसे कहते हैं ?
उतर-जिम काल में जमी अत्रम्या होने वाली है, मी अवस्था होना उसे क्रमबद्ध पर्याय कहते हैं ?
प्रश्न--क्या मभी जीमों को क्रमबद्ध ही पर्याय होनी है?