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[जिन सिद्धान्त
कत्तोपने का मात्र नहीं है, इससे भी सिद्ध होता है कि चयोपशम भाव मिश्र रूप ही है।
परन-उपशम भाव किसे कहते हैं ?
उत्तर-द्रव्य कर्म का उपशम होने से जो भाव होता है उस भाव का नाम उपशम भाव है। कर्म की अपेक्षा से उदय, उदीरणा, उत्कर्षण, अपकर्षण. पर प्रकृति मंक्रमण, स्थितिकाण्डक घात, अनुभाग काण्डक घात के बिना ही कर्मों की सत्ता में रहने से जो भाव होता है उस भाव को उपशम मात्र कहा जाता है।।
प्रश्न-उपशम भाव कितने प्रकार का है ?
उत्तर-उपशम भाव स्थान की अपेक्षा से दो प्रकार का है और विकल्प की अपेक्षा से आठ प्रकार का है।
प्रश्न-स्थान की अपेक्षा से दो प्रकार का कैसे है ?
उत्तर-एक सम्यश्चरण चारित्र और दूसरा संयम चरण चारित्र ।
प्रश्न-उपशम भाव विकल्प की अपेक्षा से प्राट प्रकार का कैसे है ?
उत्तर--सम्यन्दर्शन की अपेचा से एक प्रकार, और संयम चरण चारित्र की अपेक्षा से सात प्रभार का कहा जाता है (१) मधु मकवेट उपशम (२) श्रीवेट उपशम (३) पुरूप नया नो-पाय उपशम (४), क्रोध उपशाम