________________
जिन सिद्धान्त ]
११५
t
और दोनों परस्पर में निर्मित भी है और नैमित्तिक
भी है।
प्रश्न- आत्मा के लिये एक क्षेत्र में कौनसा
Je
निमित्त है ?
उत्तर - ज्ञानावरणादि अष्टकर्मों का मक समय का उदय श्रात्मा के विकार के लिये निमित्त है और निमित्त जब तक रहेगा तब तक मोक्ष नहीं हो सकता है। सत्ता में जो कर्म है वह यथार्थ में निमित्त नहीं है परन्तु एक समय का उदय मात्र निमित्त है । इस कर्म के साथ आत्मा एक क्षेत्र में रहते हुए भी बंध वंचक सम्बन्ध है परन्तु श्राकाशादि द्रव्य को एक क्षेत्र में रहते हुए भी उसके साथ में बंध-बंधक सम्बन्ध नहीं है जिस कारण वह निमित्त नहीं ।
प्रश्न -- उदीरणा भाव से अर्थात बुद्धि पूर्वक राग से समय समय में बंध पड़ता है या नही ?
उत्तर - उदीरणा भाव से समय समय बंध पड़ता नहीं है परन्तु यदयिक भाव से जो समय समय में बंध पड़ता है उस पड़े हुए बंध की सत्ता में उदीरण रूप भाव द्वारा अपकर्षण, उत्कर्षण, संक्रमण तथा द्रव्य निर्जरा होती रहती है परन्तु उदीरणा भाव से नवीन बंध नहीं पता है क्योंकि एक समय में एक ही बंध पड़ेगा।