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• हजूरी प्रभाती पद-संग्रह
- वेदों अद्भुत चंद्र वीरेजिन, भावचकोर चितहारी । बंदो० ॥ टेक ॥ सिद्धारथ नृपकुल नभमंडन, खंडन भ्रमतम भारी। परमानंद-जलधिविस्तारन, पापताप छयकारी। बंदो० ॥१॥ उदित निरंतर त्रिभुवन-अंतर, कीरति किरन पसारी । दोष-मलंक कलंक अटंकित, मोहराहु निरवारी । वदो० ॥२॥ कर्मावरैनपयोद-अरो. धित, वोधित शिवमगचारी। गनधरादिमुनि उडुगन सेवत, नितपूनमतिथि धारी। वंदो. ॥३॥ अखिल-अलोकाकाश उलंघन, जासज्ञान उजियारी । दौलत मनसा कुमुदिनिमोदन, जयो चरम जगतारी । वंदो०॥४॥
(६). निरखत जिनचंद्रवदन, खपरसुरुचि आई। .. १ महावीर भगवान । २ दोपाराशि । ३ पापरूपी कलंक। ४ कर्मरूपी बादलोंसे नहिं ढकनेवाला । ५,तारागण । मन रूपी कमोदिनीको हर्पित करनेवाला । .9 अंतिम तीर्थकर...