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थाका गुणगास्याजी जिनजीराज,थांका दरसनत अघनास्या११४ थांकी तो बानीमें हो जिन खपप्रकाशक मान थारै तो वनामें सरधान घणो छ म्हारै छवि निरखत . ४५ येई मोने तारोजी प्रभुजी कोई न इमारो
दरसन तेरा मन भावे दास तिहारा हु मोहि तारो श्रीजिनराय दीठा भागनते जिनपाला मोहनाशनंबाला देखें जिनराज माज राज रिद्धि पाई देखदेखे जगतके देव रागरिसखों भरे देखें मुनिराज आज जीवन मूल वे देख्या म्हाने नेमिजी प्यारा . देखो कालप्रभाव आज पाखंड जगतमैं छाया है। देखोजी आदीश्वरखामी कैसा ध्यान लगाया है देखोजी इक परम गुरुने कैसा ध्यान लगाया है देखो भाई श्रीजिनराज विराजे ..
धन धन जनी साधु अवाधित तत्वज्ञानविलासी हो । धनि ते साधु रहत बनमाही धन्य धन्य है घड़ी भाजकी जिनधुनि धवन परो । १३३ धनि धनि ते मुनि गिरिवनवासी ... धनि मुनि जिनकी लगी लौ शिवओरने : . १४६