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जिनवानीके सुनेसों मिथ्यात मिटे समकित प्रगटे जिनवानी को को नहि तारे जिनवैन सुनत मोरी भूल भगी जिन साहिब मेरे हो निमाहिये दासको जो मोहि मुनिको मिलावै ताकी बलिहारी
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तारनको जिनवानी तिहारी याद होते ही मुझे अमृत बरसता है
૨૨ त्रिभुवनमानंदकारी जिनयि थारो नैननिहारो त्रिभुवन में नामी कर करुणा जिन खामी तुम गुनमनिनिधि हो मरहंत तुम चरननकी सरन आय सुखपायो तुमःतार ककणाधार खामो आदि देव निरंजनो तुम बिन जगमें कौन हमारा तुम शांतिसागर शांतिदायक शांति द्यो इस दासको (दर्शन) १८१ तुम सुनियो श्रीजिनराजा भरज इक मेरीजी तुम ज्ञानविभव फूली बसंन यह मनमधुकर सुखसों रमंत
जिनवर स्वामी मेरा, मैं सेवक प्रभु हों तेरा तूही तूही याद मोहि मावे जगतमें तेरी भक्ति विना धिक है जीवना
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थांका गुण गास्याजी आदि जिनंदा