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इजूरीपद संग्रहा: ११ पूरन चैद॥अबकाशाद्यानत तीनों लोक विधन छय, जाको नाम करंद ।। अब० ॥२॥
अब मोहि तारले कुंथु जिनेश ।अबधाटेक॥ बुंथादिक पानी प्रतिपालक, करुणासिंधु महेश अव०॥१॥ सम्यकरत्नत्रयपदधारक, तारक जीव अशेष । अब० ॥२॥द्यानत शोभासागर स्वामी, मुक्ति-वधू-परमेश ॥ अब०॥३॥
(११४) ''. अब मोहि तारलै अर भगवान अबाटिक दीप विना शिवराह-प्रकाशक, भवतम नाशकभान ॥ अव०॥ १॥ ज्ञानसुधाकरजोत सदा घर, पूरनशशि.सुखदान । अब०॥२॥भ्रमतपवारन जंगहित कारन, यानत मेघ समान । अब०॥३॥
(११५) भजरे मनुवा प्रभु पारसको॥ भजरेगा टेक॥ मन-वच काय लाय लो इनकी, छांडिसकल भ्रम