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सम्पादकीय विचार | १ – बम्बई में रथोत्सव |
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ता. २९ दिसम्बरसे ता. १ जनवरी तक यहा रथोत्सवकी बहुत चहल पहल रही । रथोत्सव वडे आनन्द के साथ समाप्त होगया । लग भग दो हजार वाहरके सज्जन इस महोत्सव में सम्मिलित हुए थे । जैन समाजक प्रायः त्यागी, ब्रह्मचारी, विद्वान, धनिक आदि सभी उपस्थित हुए थे। जैसा समुचित सम्मिलन यहा हुआ था वैसे समागमकी अत्र बहुत कम आशा है । इस उत्सवके सम्बन्धमें वे बहुत धन्यवाद के पात्र है जिन्होंने अपनी धीरतासे काम लिया था । उत्सव के अन्तिम विसर्जन के दिन श्रीयुक्त सेठ गुरुमुखराय सुखानन्दजी की ओर से प्रीतिभोजन हुआ था । उसमें खण्डेलवाल, अग्रवाल, पद्मावतीपुरवार, परवार, लमेचू, हूमड, चतुर्थ, पञ्चम, सेल्वाल आदि सभी जातिके सज्जन सम्मिलत थे ।
१ - - बम्बई मान्तिकसभाका अधिवेशन और उसके सभापति ।
इस रथोत्सवपर प्रान्तिकसभा वम्बईका अधिवेशन होना जब निश्चत हो गया तब इस विषयपर विचार चला कि अबकी बार अधिवेशनके सभापति कौन निर्वाचित किये जायँ : रथोत्सवकी प्रबन्धकर्तृसभा के सभासदोंकी रायसे निश्चित किया गया कि अवकी वार अधिवेशनके सभापति लखनउ निवासी श्रीयुक्त बाबू अजितप्रसादजी एम. ए. एल. एल. बी. वकील, निर्वाचित किये जायें । बाबू साहब हमारी समाज के एक प्रतिष्ठित और उदार