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[ ४ ] | माघशुक्ल वीर सं.०४३९ । | फाल्गुणकृष्ण वीर सं. २४३९।। चार ता| विशेष विवणर ति चार ता. विशेष विवरण 10 फरी २रा
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| रवि २३ सोम १० जन्मतप-विमलनाथ ४ सोम २४ मोक्ष-पद्मप्रभका मगल/११ बुध १२ जान-विमलनाथका बुध २६) ज्ञान-सुपार्श्वनाथका गुरु १३
२७ ज्ञान-चद्रप्रम-मोक्ष,
[सुपार्श्वनाथका रोहिणी व्रत।
| मार्च गर्भ पुष्पदत' १६) जातप अजितनाथ/१० ११ सोम १७
११/ सोम३
|| जन्मतप-ज्ञान . मगल/१०/ जन्मतप अभिनदन १२
मोक्ष-मानसुव्रत १३ बुध १९ जन्मतप-धर्मनाथका ५३/ बुध ५
गुरु । जन्मतप-वासुपूज्य
० शुक्र 0 * ११ को जन्मतप-श्रेयासनाथका और ज्ञान-आदिनाथका !
बबईके छपे शुद्ध जैनग्रंथ । जैनवाल वोधक प्रथम भाग 1 शीलकथा दानकथा ।) दियातले अधेरा On दर्शनकथा) निशिभोजनकथा) समाधिमरण दो तरहका ) रविव्रतकथा भाऊ कविकृत ) अरहंतपासाफेवली
सदाचारीवालक भक्ताभर माषा और मूल संस्कृत) 'पचमगलरूपचन्द्रीकृत शुद्धपाठ) दर्शनपाठ बुधजनकृत दर्शनसहित) ___ मृत्युमहोत्सव वचनिकासहित ) शिखरमाहात्म्य भाषा वचनिका) निर्वाणकांड प्राकृत,भाषा महावीरका सामायिक पाठ, आलोचनापाठ) सामायिकपाठ भाषाटीका विधिस) कल्याणमदिर एकीभाव भाषा) आरतीसग्रह जिसमें ११ आरती) छहढाला दौलतरामकृत वड़े ॥ इष्टछत्तीसी अर्थसहित