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श्री जैन पुस्तकालय वनारमका
जैनतिथिदर्पण |
वीरनिर्वाण संवत् २४३९ का | नृत्य )|| आना डाक सर्च ५ तक )||
धर्मप्रश्नोत्तरवचनिका |
यह ग्रथ सकळकार्त्ति आचायकृत संस्कृतमें है जिसका दूसरा नाम प्रश्नोतरश्रावकाचार भी है उसकी सरलवचनिका श्रीयुतपडित लालारामजी से कराई गई है। इसमें दशलक्षणधर्मपृच्छा, श्रावकधर्मपृच्छा, रमत्रयमोक्षमार्गपृच्छा, तत्वपृच्छा, कर्मविपाकपृच्छा और सज्जनचित्तवल्लभपृच्छा इसप्रकार ६ अध्याय हैं जिनमें ११२१ प्रश्न और उनके सविस्तर उत्तर हैं । सर्वदशी सय भाइयोंके समझनेयोग्य स्वाध्याय करनेकेलिये बहुत ही उपयोगी ग्रंथ है । इसमें कागज इतना मोटा लगाया है कि वैसा कोई नहीं लगाता । अक्षर डे और सुदर निर्णयसागर की टाइपमें छपा है । निल्दसहित २६८ पृ. न्यो २) है । सर्वप्रकार की पुस्तकें मिलनेका पताश्रीलालजेन मैनेजर
जैन पुस्तकालय बनारसमिटी ।
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