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दिगम्बर जैन —सूरतले इस नामका गुजराती भाषामै कोई पांच वर्ष से एक पत्र निकलता है । उसके सम्पादक श्रीयुक्त मूलचन्द किसनाम कापड़िया हैं । वार्षिक मूल्य उपहारके ग्रन्थ सहित १]) हैं ।
छटे वर्ष के आरंभ में कापडियाजीने इसका खास अङ्क निकाला । वह हमारे सामने उपस्थित है। उपयोगी लेखोंके अतिरिक्त त्यागी, मुनि, विद्वान, और सद्गृहस्योंके का मग ६० चित्र भो दिये गये हैं । अङ्ककी सुन्दरता देखते ही बनती है । दिगम्बर जैन समाजमें इस प्राथमिक और नवीन परिश्रमके लिए हम कापड़ियाजीको बधाई देते हैं ।
छ वर्षके उपहारका पहला ग्रन्थ मनोरमा है । यह अन्य शीलकथाके आधारपर गुजराती मापामें लिखा हुआ है । जिसे हम अत्रला कहते हैं वह अपने शीलकी किस वीरताके साथ रक्षा करती है यही इसमें बताया गया है ।
उपहारका दूसरा ग्रन्थ हनूमानचरित्र है । यह हिन्दी भाषा में पद्मपुराणकी एक कथाके आधारपर लिखा गया है । इसके लेखक खण्डवा निवासी सुखचन्द पद्मसाह हैं | इसकी हिन्दी बहुत कुछ परिमार्जित होना मांगती है । उपहारके दोनों ग्रन्थ पृथक भी छह यह आनमें सूरत चन्दावाड़ीके पतेपर मिल सकते हैं।
सर्वादर्शकुण्डलीसागर - लेखक और प्रकाशक बालानी गोविन्द हर्डीकर देवज्ञ हैं। मिलनेका पता - पी. एम. आगवेकर महेश्वरीमहाल नियर कांचमन्दिर कानपुर | कीमत १) रु। यह फलित ज्योतिषका अन्य है । इसमें सन्देह नहीं कि लेखक महाशयने इस