SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 413
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ২৩৩ पृष्ठ पक्ति ६२ २३,२४ ६४ १५ १६ २० ६७ ६६ २२,२३ ५०६ अशुद्धि शुद्धि शब्दादीना शब्दादिना दोनो दोनो के प्रत्येक परिणमन प्रत्येक वस्तु का प्रत्येक परिणमन परिणमन स्वभाव परिणमन-स्वभाव आवती आवली कथन कथन करना स्व सापेक्ष पर (स्वसापेक्ष परनिरपेक्ष निरपेक्ष तथा स्व- तथा स्वपरसापेक्ष) परसापेक्ष स्वसापेद्य पर- स्वसापेक्षपरनिरपेक्ष निरपेक्ष तो तव परपदार्थ व गाहक परपदार्था व गाहक मुख मुख यही कारण है यही कारण है कि अपके अपने प्रतिफलनि प्रतिफलति पुद्गल द्रव्य अनन्त पुद्गल द्रव्य नही नही वर्णन जीव को जीव की समस्त प्रतिक्षण समस्त पदार्थ प्रतिक्षण एकस्पर्शन एक स्पर्शन नासिक नासिका ७५ ७५ ३ २३ व ८७ ८८ १६ २१ नही वर्तन ८६ १२
SR No.010368
Book TitleJain Tattva Mimansa ki Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBansidhar Pandit
PublisherDigambar Jain Sanskruti Sevak Samaj
Publication Year1972
Total Pages421
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy