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________________ जैनतत्त्वमीमांसा की मीमांसा ( ले० बशीधर व्याकरणाचार्य बीना ) (१) विषय-प्रवेश १ - श्री प० फूलचन्द्र जी सिद्धान्तशास्त्री वाराणसी ने 'जैनतत्त्वमीमासा' नाम से एक पुस्तक स्वयं लिखकर और स्वय संपादित कर अशोक प्रकाशन मंदिर २३८ भदैनी वाराणसी से प्रकाशित कराई है । प० जी की गणना समाज के उच्चकोटि के विद्वानो मे की जाती है । इनका जीवन साहित्य सेवा मे ही व्यतीत हुआ है और हो रहा है । साहित्य सेवा मे इनकी लगन और श्रम वेजोड माने जा सकते है । अत इसमे सदेह नही, कि 'जैनतत्त्वमीमासा' इनके अटूट परिश्रम का परिणाम है इस पुस्तक के विषय-प्रवेश, वस्तु-स्वभाव मीमांसा, निमित्त की स्वीकृति, उपादाननिमित्तमीमासा, कर्तुं कर्ममीमासा, पकारकमीमासा, क्रमनियमितपर्यायमीमासा, सम्यग्नियतिस्वरूपमीमासा, निश्चयव्यवहारमीमासा, अनेकान्तस्याद्वादमीमासा, केवलज्ञानमीमासा और उपादाननिमित्त सवाद - ये वारह अधिकार है । इन अधिकारो मे जिन विषयो की मीमासा
SR No.010368
Book TitleJain Tattva Mimansa ki Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBansidhar Pandit
PublisherDigambar Jain Sanskruti Sevak Samaj
Publication Year1972
Total Pages421
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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