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( बद्ध होकर ) रहते आये है । जीवो और पुद्गलो के बन्ध मे पुद्गलो और पुद्गलो के बन्ध की अपेक्षा यह विशेषता पायी जाती है कि पुद्गल परस्पर जहाँ हमेशा मिलते और विछुडते रहते हैं वहाँ जीवो की पुद्गलो के साथ मिलावट है तो अनादिकाल से, परन्तु जिस जीव की पुद्गल के साथ विद्यमान वह मिलावट एकबार समाप्त हो जाती है तो फिर कभी नही होती है ओर न हो ही सकती है । जीव और पुद्गल की मिलावट का नाम ससार कहलाता है और उसके नष्ट हो जाने यानि जीव और पुद्गल के पृथक्-पृथक् हो जाने का नाम मोक्ष है ।
जड और चेतन सम्पूर्ण पदार्थ परिणमन स्वभाव वाले होने के कारण जहाँ अपनी स्वतन्त्रता के आधार पर क्षणमात्रवर्ती स्वप्रत्यय परिणमन सतत करते रहते हैं वहाँ वे सभी पदार्थ परिणमन स्वभाव वाले होने के कारण ही यथासम्भव स्पृष्टता या बद्धता के आधार पर यथायोग्य क्षणमात्रवर्ती और नानाक्षणवर्ती स्वपरप्रत्यय परिणमन भी सतत करते रहते हैं । इसी आधार पर नाना वस्तुओं मे आधाराधेयभाव व निमित्तनैमित्तिकभाव की सिद्धि होती है । ये सम्बन्ध यद्यपि नाना वस्तुओ के आधार पर होने के कारण व्यवहारनय के विषय सिद्ध होते हैं फिर भी ये वास्तविक हैं गधे के सीग या बन्ध्या पुत्र के समान अवास्तविक, असत्य या कथनमात्र नही हैं ।
यद्यपि प्रत्येक पदार्थ के अपने-अपने उक्त स्वप्रत्यय और स्वपरप्रत्यय परिणमन उल्लिखित उभय विद्वानों के समान आगम समर्थित होने के कारण हम लोगो की मान्यता के