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________________ १८८ नालिगे । अर्याप जहा निलय का विगविग गिया जाप पा उमगे तो विपना पबहार का मिशन निग्निाना नायिओर जागवतार का विविाि ाि जाय बता उनी विपरीत निमामि मिति ना नादिए।नगे या ना को गगा ना नाहि मिनिलय और गारपिगोमा जोपियशिन बनाया बानो गुप्यनजामा और में अदिक्षिम होना है या गोणहो जाना। पन्तु मे समान गर म नियम विरोगा मन आचार समेत गा गाभाला और मत्र प्रसार में प्यमहा म न आमारपा पगबना है। इसका अभिप्राय पर भा - कि वस्तु का जो भय या स्वाययता: आगार पर निम्नग नहीं भेद जोर पग-प्रयता के सामान पर पवार भी। जन मार्ग जहा उपादानगी परिजनोग आधार पर उपाध्यम से नियम यही त अन्यनम्नु गायोग में उत्पन्न होने के आधार पर नैमिति में गम भी है। मो प्रार मिट्टी (1) टम्प पहिने आधार पर जहा घटम्प गाना मानोजकारणता में का मे निश्चगम वारी नह मिट्टी नानापुदान परमाणुओ का पिंड होने के आधार पर गामा भी है। निम्न और यहार के ये नय Fप यन्त के धर्म है और सभी वास्तविक अर्थात् अग्नु में विद्यमान रहते है। इनमे मे कोई भी गलित, मिरगा गा गशन मान नहीं है। इतना अवस्य है कि जो निम्नय धम है वे ता अभेद या स्वाधितता के आधार पर है और जो व्यवहार धर्म हैं वे भेद या पगधितता के आधार पर है।
SR No.010368
Book TitleJain Tattva Mimansa ki Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBansidhar Pandit
PublisherDigambar Jain Sanskruti Sevak Samaj
Publication Year1972
Total Pages421
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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